सच्ची कहानी पर बनी यथार्थ के करीब है निर्देशक अविनाश ध्यानी की फिल्म "फूली"

अविनाश से की गयी बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी बनाई सारी फिल्मों से फूल�...

May 17, 2024 - 11:43
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सच्ची कहानी पर बनी यथार्थ के करीब है निर्देशक अविनाश ध्यानी की फिल्म "फूली"

अविनाश से की गयी बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी बनाई सारी फिल्मों से फूली फिल्म उनके सबसे करीब है क्योंकि फूली यथार्थ के बहुत नजदीक है।

मुंबई (अनिल बेदाग) : अभिनेता और निर्देशक अविनाश ध्यानी की फ़िल्म फूली का पोस्टर और रिलीज़ डेट जारी कर दिया गया है। अभिनेता और निर्देशक अविनाश ध्यानी की आने वाली फिल्म “फूली” किसी एक बच्ची की कहानी मात्र नहीं है। फिल्म में फूली के किरदार में अविनाश ध्यानी ने पहाड़ में रहने वाली हर महिला की जिंदगी को दर्शाया है। इस फिल्म के दौरान वो करीब 8 महीनों तक तिमली गांव,( पौड़ी जिला) में रहे, और बिना किसी जल्दबाजी के इस फिल्म को बनाते रहे।

अविनाश से की गयी बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी बनाई सारी फिल्मों से फूली फिल्म उनके सबसे करीब है क्योंकि फूली यथार्थ के बहुत नजदीक है। फूली फिल्म में उन्होंने पहाड़ की कई महिलाओं के जीवन से प्रेरणा ली है, जिसमें की उनकी माँ भी शामिल हैं। पहाड़ को करीब से जानने और समझने के चलते उन्हें लगा कि ये एक ऐसी कहानी है जो सिर्फ पहाड़ों तक सीमित रहने के लिए नहीं है, इसे देशभर में लोगों तक पहुँचना चाहिए।

फिल्म की कहानी फूली के किरदार के आस पास घूमती है जो की एक 14 साल की होनहार बच्ची है, जो पढ़ना चाहती है, लिखना चाहती है, आगे बढ़ना चाहती है, मगर हालत और परिस्थितियाँ उसके विपरीत हैं। उसके पिता अपनी शराब की लत के आगे लाचार हैं। फूली अपने पिता कि हर बात मानने के साथ हर वो कोशिश करती है जिससे की वो किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी करे।

जब उसका मनोबल कम होता है तो तभी उसकी जिंदगी में एक जादूगर आता है जो उसे समझाता है कि कैसे उसकी जिंदगी बदलना उसके अपने हाथों में है और बताता है कि “कोई नहीं आता आपकी जिंदगी में जादू करने, वो जादू आपको ख़ुद करना होता है।” कैसे फूली जादूगर की कही बातों को समझती है और अपने जीवन में उतारती है, इसी पर पूरी फिल्म आधारित है।

फूली, ऐसा सिनेमा है जो कई सालों में एक बार बनता है जहाँ आप जब उसे देखते हैं तो आप अपना समय देकर कुछ सीख कर जाते हैं। फूली भले ही एक बच्ची की कहानी है पर वो जीवन के कई ऐसे पड़ावों पर प्रकाश डालती है जिनसे हर इंसान, कभी न कभी, किसी ना किसी उम्र में गुजरता है। फिल्म 7 जून को रिलीज़ हो रही है।

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