सच्ची घटना पर बनी है ऑस्कर नॉमिनेटेड 'होमबाउंड', यूपी की बस्ती के दो रियल दोस्तों कहानी ने छू लिया दिल

सिनेमा की दुनिया में हर कहानी ख़ास होती है, लेकिन कुछ कहानियां दिलों को छू जाती हैं, क्योंकि वे सच्चाई और इंसानियत की नींव पर टिकी होती हैं. ऐसी ही एक कहानी उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक छोटे से गांव देवरी से निकलकर अब दुनिया के सबसे बड़े मंच ऑस्कर तक पहुंच गई है. बस्ती के दो दोस्तों के संघर्ष पर बनी फ़िल्म 'होमबाउंड' की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है, जिसे ऑस्कर 2026 में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में नामित किया गया है.  देवरी के दो सच्चे दोस्तों की कहानी है होमबाउंडयह फ़िल्म किसी फिल्मी प्लॉट की नहीं, बल्कि बस्ती जनपद के बरहुआ ग्राम पंचायत के राजस्व गांव देवरी के दो सच्चे दोस्तों अमृत और सैय्यूब के जीवन और संघर्ष की कहानी है. दोनों मज़दूर दोस्त थे, जिनकी दोस्ती ने जीवन की हर कसौटी पर इंसानियत की मिसाल पेश की, कोविड के दौरान वर्ष 2020 में अमृत ने गुजरात से बस्ती लौटते वक्त अय्यूब की गोद में दम तोड़ दिया था, और वो फोटो इन दोनों दोस्तों के दोस्ती की ऐसी मिसाल बन गई जिसने आज फिल्म जगत के सबसे बड़े अवॉर्ड आस्कर में जगह बना ली.  इस फ़िल्म का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता नीरज घेवान ने किया है, जबकि इसका निर्माण करण जौहर और अदर पूनावाला के बैनर तले हुआ है. बड़े नामों के बावजूद, फ़िल्म की आत्मा इसके साधारण और मार्मिक विषय में बसती है. होमबाउंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली पहचान मई 2025 में मिली, जब यह कान्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल में प्रदर्शित हुई.फ़िल्म के भावनात्मक ताने-बाने और सच्ची घटनाओं ने दर्शकों को इतना प्रभावित किया कि प्रदर्शन के बाद हॉल में मौजूद सभी लोगों ने पूरे 9 मिनट तक खड़े होकर तालियाँ बजाई, जो किसी भी फ़िल्म के लिए एक असाधारण सम्मान है. निर्देश नीरज ने सैय्यूब के साथ देखी होमबाउंडहालाँकि, यह विडंबना ही है कि जिस कहानी ने पूरी दुनिया को भावुक कर दिया, उसके असली नायक अमृत और सैय्यूब के परिवारों ने अब तक यह फ़िल्म नहीं देखी है. सैय्यूब के भाई सुहैल और अमृत के भाई शिवम ने केवल यू-ट्यूब पर फ़िल्म का ट्रेलर देखा है, और वे इसे बड़े पर्दे पर देखने के लिए उत्सुक हैं. हाल ही में, निर्देशक नीरज घेवान की टीम ने 27 सितंबर को दुबई में सैय्यूब से मुलाकात की. सैय्यूब इन दिनों वहां मज़दूरी कर रहे हैं. इस मुलाकात के दौरान, नीरज घेवान की टीम के सदस्यों ने सैय्यूब के साथ पूरी फ़िल्म देखी. यह सैय्यूब के लिए एक इमोशनल पव था, क्योंकि उन्हें बड़े परदे पर अपने दोस्त अमृत के साथ बिताए पल देखने को मिले. अमृत के परिवार को तो यह अंदाज़ा भी नहीं था कि उनके बेटे की ज़िंदगी की कहानी कभी दुनिया के सबसे बड़े मंच तक पहुँचेगी. अमृत के पिता रामचरन और मां शोभा देवी ने बताया कि करीब एक साल पहले मुंबई से कुछ लोग आए थे, जिन्होंने फ़िल्म बनाने की बात कहकर परिवार से कुछ जानकारियां लीं और कुछ पैसे देकर चले गए थे.  सैय्यूब के पिता मोहम्मद यूनुस को बेटे पर फख्रउधर, सैय्यूब के पिता मोहम्मद यूनुस सिद्दीकी ने अपने बेटे की इस पहचान पर गर्व व्यक्त किया. उन्होंने कहा, “बेटे ने मज़दूरी करते हुए भी इंसानियत और दोस्ती की मिसाल कायम की. फ़िल्म की कहानी केवल दुखद घटनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अटूट दोस्ती की मिसाल भी पेश करती है. अमृत के निधन के बाद, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई. ऐसे समय में सैय्यूब ने सच्चे दोस्त का फर्ज निभाते हुए अमृत की बहनों रीमा और सीमा की शादी में आर्थिक मदद देकर परिवार का सहारा बने. आज सैय्यूब दुबई में मज़दूरी कर रहे हैं, लेकिन अमृत का परिवार बस्ती में बेहद मुश्किल से गुज़ारा कर रहा है. पिता रामचरन पर पूरे घर की ज़िम्मेदारी है. उनका परिवार घर में महज 3000 की लागत से खोली गई एक छोटी सी दुकान चलाता है. इस दुकान से टॉफी नमकीन बेचकर ही वे बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चला रहे हैं. निर्देशक नीरज ने अमृत के परिवार की मदद का किया वादादुबई में सैय्यूब और निर्देशक नीरज घेवान की टीम की मुलाकात के दौरान सैय्यूब ने अमृत के परिवार की इन आर्थिक कठिनाइयों के बारे में निर्देशक को विस्तार से बताया. इस पर, निर्देशक नीरज घेवान ने परिवार को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है, 'होमबाउंड' एक फ़िल्म से कहीं ज़्यादा है, यह उस संघर्ष, त्याग, और अटूट दोस्ती की कहानी है जो हमारे समाज के ताने-बाने को मज़बूती देती है. बस्ती के इस छोटे से गांव की कहानी का ऑस्कर तक पहुंचना यह साबित करता है कि सच्ची कहानियां हमेशा दुनिया को प्रभावित करती हैं. अब देखना होगा कि 'होमबाउंड' ऑस्कर में क्या कमाल दिखाती है, लेकिन एक बात तय है कि इस फ़िल्म ने अमृत और सैय्यूब की दोस्ती को हमेशा के लिए अमर कर दी है.     

Oct 6, 2025 - 13:30
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सच्ची घटना पर बनी है ऑस्कर नॉमिनेटेड 'होमबाउंड', यूपी की बस्ती के दो रियल दोस्तों कहानी ने छू लिया दिल

सिनेमा की दुनिया में हर कहानी ख़ास होती है, लेकिन कुछ कहानियां दिलों को छू जाती हैं, क्योंकि वे सच्चाई और इंसानियत की नींव पर टिकी होती हैं. ऐसी ही एक कहानी उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक छोटे से गांव देवरी से निकलकर अब दुनिया के सबसे बड़े मंच ऑस्कर तक पहुंच गई है. बस्ती के दो दोस्तों के संघर्ष पर बनी फ़िल्म 'होमबाउंड' की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है, जिसे ऑस्कर 2026 में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में नामित किया गया है. 

देवरी के दो सच्चे दोस्तों की कहानी है होमबाउंड
यह फ़िल्म किसी फिल्मी प्लॉट की नहीं, बल्कि बस्ती जनपद के बरहुआ ग्राम पंचायत के राजस्व गांव देवरी के दो सच्चे दोस्तों अमृत और सैय्यूब के जीवन और संघर्ष की कहानी है. दोनों मज़दूर दोस्त थे, जिनकी दोस्ती ने जीवन की हर कसौटी पर इंसानियत की मिसाल पेश की, कोविड के दौरान वर्ष 2020 में अमृत ने गुजरात से बस्ती लौटते वक्त अय्यूब की गोद में दम तोड़ दिया था, और वो फोटो इन दोनों दोस्तों के दोस्ती की ऐसी मिसाल बन गई जिसने आज फिल्म जगत के सबसे बड़े अवॉर्ड आस्कर में जगह बना ली. 

इस फ़िल्म का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता नीरज घेवान ने किया है, जबकि इसका निर्माण करण जौहर और अदर पूनावाला के बैनर तले हुआ है. बड़े नामों के बावजूद, फ़िल्म की आत्मा इसके साधारण और मार्मिक विषय में बसती है. होमबाउंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली पहचान मई 2025 में मिली, जब यह कान्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल में प्रदर्शित हुई.फ़िल्म के भावनात्मक ताने-बाने और सच्ची घटनाओं ने दर्शकों को इतना प्रभावित किया कि प्रदर्शन के बाद हॉल में मौजूद सभी लोगों ने पूरे 9 मिनट तक खड़े होकर तालियाँ बजाई, जो किसी भी फ़िल्म के लिए एक असाधारण सम्मान है.

निर्देश नीरज ने सैय्यूब के साथ देखी होमबाउंड
हालाँकि, यह विडंबना ही है कि जिस कहानी ने पूरी दुनिया को भावुक कर दिया, उसके असली नायक अमृत और सैय्यूब के परिवारों ने अब तक यह फ़िल्म नहीं देखी है. सैय्यूब के भाई सुहैल और अमृत के भाई शिवम ने केवल यू-ट्यूब पर फ़िल्म का ट्रेलर देखा है, और वे इसे बड़े पर्दे पर देखने के लिए उत्सुक हैं. हाल ही में, निर्देशक नीरज घेवान की टीम ने 27 सितंबर को दुबई में सैय्यूब से मुलाकात की. सैय्यूब इन दिनों वहां मज़दूरी कर रहे हैं. इस मुलाकात के दौरान, नीरज घेवान की टीम के सदस्यों ने सैय्यूब के साथ पूरी फ़िल्म देखी.

यह सैय्यूब के लिए एक इमोशनल पव था, क्योंकि उन्हें बड़े परदे पर अपने दोस्त अमृत के साथ बिताए पल देखने को मिले. अमृत के परिवार को तो यह अंदाज़ा भी नहीं था कि उनके बेटे की ज़िंदगी की कहानी कभी दुनिया के सबसे बड़े मंच तक पहुँचेगी. अमृत के पिता रामचरन और मां शोभा देवी ने बताया कि करीब एक साल पहले मुंबई से कुछ लोग आए थे, जिन्होंने फ़िल्म बनाने की बात कहकर परिवार से कुछ जानकारियां लीं और कुछ पैसे देकर चले गए थे. 

सैय्यूब के पिता मोहम्मद यूनुस को बेटे पर फख्र
उधर, सैय्यूब के पिता मोहम्मद यूनुस सिद्दीकी ने अपने बेटे की इस पहचान पर गर्व व्यक्त किया. उन्होंने कहा, “बेटे ने मज़दूरी करते हुए भी इंसानियत और दोस्ती की मिसाल कायम की. फ़िल्म की कहानी केवल दुखद घटनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अटूट दोस्ती की मिसाल भी पेश करती है. अमृत के निधन के बाद, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई. ऐसे समय में सैय्यूब ने सच्चे दोस्त का फर्ज निभाते हुए अमृत की बहनों रीमा और सीमा की शादी में आर्थिक मदद देकर परिवार का सहारा बने.

आज सैय्यूब दुबई में मज़दूरी कर रहे हैं, लेकिन अमृत का परिवार बस्ती में बेहद मुश्किल से गुज़ारा कर रहा है. पिता रामचरन पर पूरे घर की ज़िम्मेदारी है. उनका परिवार घर में महज 3000 की लागत से खोली गई एक छोटी सी दुकान चलाता है. इस दुकान से टॉफी नमकीन बेचकर ही वे बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च चला रहे हैं.

निर्देशक नीरज ने अमृत के परिवार की मदद का किया वादा
दुबई में सैय्यूब और निर्देशक नीरज घेवान की टीम की मुलाकात के दौरान सैय्यूब ने अमृत के परिवार की इन आर्थिक कठिनाइयों के बारे में निर्देशक को विस्तार से बताया. इस पर, निर्देशक नीरज घेवान ने परिवार को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है, 'होमबाउंड' एक फ़िल्म से कहीं ज़्यादा है, यह उस संघर्ष, त्याग, और अटूट दोस्ती की कहानी है जो हमारे समाज के ताने-बाने को मज़बूती देती है.

बस्ती के इस छोटे से गांव की कहानी का ऑस्कर तक पहुंचना यह साबित करता है कि सच्ची कहानियां हमेशा दुनिया को प्रभावित करती हैं. अब देखना होगा कि 'होमबाउंड' ऑस्कर में क्या कमाल दिखाती है, लेकिन एक बात तय है कि इस फ़िल्म ने अमृत और सैय्यूब की दोस्ती को हमेशा के लिए अमर कर दी है. 

 

 

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