तनुश्री दत्ता और नान पाटेकर के बीच क्या है विवाद? 'हॉर्न ओके प्लीज' के सेट पर छेड़छाड़ से लेकर जानें क्या है पूरा मामला
बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता एक बार फिर खबरों में हैं. हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक इमोशनल वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने रोते हुए दावा किया है कि उन्हें न सिर्फ घर पर, बल्कि कई जगहों पर मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है. इस वीडियो के बाद उन्होंने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया है कि इन सब परेशानियों के पीछे बॉलीवुड के एक संगठित गिरोह और एक्टर नाना पाटेकर का नाम शामिल है. उनका कहना है कि उन्हें चुप कराने और बदनाम करने की कोशिश लंबे समय से की जा रही है. तनुश्री दत्ता और नाना पाटेकर में लंबे समय से विवाद जारी है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला. 2008 में लगा था पहला आरोप तनुश्री दत्ता ने आरोप लगाया था कि 2008 में हॉर्न ओके प्लीज गाने की शूटिंग के दौरान पाटेकर ने उनका यौन उत्पीड़न किया था. जिसके बाद से भारत में #Mee Too आंदोलन की शुरुआत हो गई. View this post on Instagram A post shared by Tanushree Dutta Miss India Universe (@iamtanushreeduttaofficial) एफआईआर हुई दर्ज उनकी शिकायत के आधार पर साल 2018 में ओशिवाला पुलिस स्टेशन में पाटेकर, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य और दो अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. दत्ता ने 10 अक्टूबर साल 2018 को एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें दो घटनाओं का उल्लेख किया गया - एक 23 मार्च 2008 की और दूसरी घटना 5 अक्टूबर 2018 की थी. उन्होंने भारतीय दंड संहिता IPC की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की नीयत के उस पर हमला करने या जबलन बल प्रयोग करने) और धारा 509 (महिला की गरिमा को अपमानित करने की नीयत से किया गया कार्य ) के तहत मामला दर्ज कराया. शिकायत दर्ज करने में देरी पर सवाल कोर्ट ने कहा कि यह एफआईआर IPC की धारा 354 और 509 के तहत दर्ज की गई थी, जबकि कथित घटना 2008 की है. अदालत ने स्पष्ट किया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के अनुसार इन धाराओं के तहत शिकायत दर्ज करने की अधिकतम समय सीमा तीन साल है, लेकिन शिकायत में इतनी देरी के लिए कोई कारण या स्पष्टिकरण नहीं दिया गया. मजिस्ट्रेट एन.वी.बंसल ने पहला मामला यह कहते हुए बंद कर दिया कि जांच अधिकारी आईओ को किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली है. क्लोजर रिपोर्ट में क्या कहा गया? जून 2019 में पुलिस द्वारा अंधेरी स्थित एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में बी-समरी रिपोर्ट क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई. जिसमें कहा गया कि उन्हें पाटेकर या अन्य आरोपियों गणेश आचार्य, समी सिद्दीकी और राकेश सारंग के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला. रिपोर्ट में कहा गया था कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण या बदले की भावना से प्रेरित हो सकती है. 7 मार्च 2025 को मजिस्ट्रेट अदालत ने अभिनेता नाना पाटेकर के खिलाफ 2018 में #Me Too आंदोलन के दौरान दर्ज की गई शिकायत को खारिज कर दिया.

बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता एक बार फिर खबरों में हैं. हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक इमोशनल वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने रोते हुए दावा किया है कि उन्हें न सिर्फ घर पर, बल्कि कई जगहों पर मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है.
इस वीडियो के बाद उन्होंने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया है कि इन सब परेशानियों के पीछे बॉलीवुड के एक संगठित गिरोह और एक्टर नाना पाटेकर का नाम शामिल है. उनका कहना है कि उन्हें चुप कराने और बदनाम करने की कोशिश लंबे समय से की जा रही है.
तनुश्री दत्ता और नाना पाटेकर में लंबे समय से विवाद जारी है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
2008 में लगा था पहला आरोप
तनुश्री दत्ता ने आरोप लगाया था कि 2008 में हॉर्न ओके प्लीज गाने की शूटिंग के दौरान पाटेकर ने उनका यौन उत्पीड़न किया था. जिसके बाद से भारत में #Mee Too आंदोलन की शुरुआत हो गई.
View this post on Instagram
एफआईआर हुई दर्ज
उनकी शिकायत के आधार पर साल 2018 में ओशिवाला पुलिस स्टेशन में पाटेकर, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य और दो अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. दत्ता ने 10 अक्टूबर साल 2018 को एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें दो घटनाओं का उल्लेख किया गया -
एक 23 मार्च 2008 की और दूसरी घटना 5 अक्टूबर 2018 की थी.
उन्होंने भारतीय दंड संहिता IPC की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की नीयत के उस पर हमला करने या जबलन बल प्रयोग करने) और धारा 509 (महिला की गरिमा को अपमानित करने की नीयत से किया गया कार्य ) के तहत मामला दर्ज कराया.
शिकायत दर्ज करने में देरी पर सवाल
कोर्ट ने कहा कि यह एफआईआर IPC की धारा 354 और 509 के तहत दर्ज की गई थी, जबकि कथित घटना 2008 की है. अदालत ने स्पष्ट किया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के अनुसार इन धाराओं के तहत शिकायत दर्ज करने की अधिकतम समय सीमा तीन साल है, लेकिन शिकायत में इतनी देरी के लिए कोई कारण या स्पष्टिकरण नहीं दिया गया.
मजिस्ट्रेट एन.वी.बंसल ने पहला मामला यह कहते हुए बंद कर दिया कि जांच अधिकारी आईओ को किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली है.
क्लोजर रिपोर्ट में क्या कहा गया?
जून 2019 में पुलिस द्वारा अंधेरी स्थित एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में बी-समरी रिपोर्ट क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई. जिसमें कहा गया कि उन्हें पाटेकर या अन्य आरोपियों गणेश आचार्य, समी सिद्दीकी और राकेश सारंग के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला. रिपोर्ट में कहा गया था कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण या बदले की भावना से प्रेरित हो सकती है.
7 मार्च 2025 को मजिस्ट्रेट अदालत ने अभिनेता नाना पाटेकर के खिलाफ 2018 में #Me Too आंदोलन के दौरान दर्ज की गई शिकायत को खारिज कर दिया.
What's Your Reaction?






