कभी बढ़ाया वजन, कभी बंदूक चलाने के लिए ली ट्रेनिंग, भूमि पेडनेकर ने ऐसे हर किरदार में फूंकी जान

बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में जहां अक्सर ग्लैमर और स्टारडम को अहमियत दी जाती है, वहीं भूमि पेडनेकर एक ऐसी अदाकारा हैं, जिनके लिए किरदार सिर्फ फिल्म का हिस्सा नहीं, बल्कि एक ऐसी दुनिया है, जिसमें वह पूरी तरह डूब जाती हैं. उन्होंने अपने करियर के हर एक किरदार को दिल से निभाया है, स्क्रीन पर उसे जिया है. चाहे बात 2015 में आई फिल्म 'दम लगा के हईशा' की हो, जिसमें उन्होंने अपने किरदार के लिए 12 किलो तक वजन बढ़ाया था, या फिर 2019 में आई 'सोनचिरैया' की हो, जिसमें उन्होंने दो महीने तक ग्रामीण लोगों की जिंदगी जीने और बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली थी. असिस्टेंट कास्टिंग डायरेक्टर बनकर शुरू किया करियरइन किरदारों में उनकी मेहनत सिर्फ शारीरिक नहीं थी, बल्कि मेंटल और इमोशनल भी थी.18 जुलाई 1989 को मुंबई में जन्मीं भूमि पेडनेकर कोंकणी और हरियाणवी परिवार से आती हैं. उनके पिता का नाम सतीश पेडनेकर है, जो महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री रह चुके हैं. एक्ट्रेस को अभिनय का शौक बचपन से ही था. उन्होंने शुरुआत में यशराज फिल्म्स में असिस्टेंट कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर काम किया और फिल्मी दुनिया का एक्सपीरियंस लिया. 'दम लगा के हईशा' से करियर की शानदार शुरुआत भूमि ने अपने करियर की शुरुआत 2015 में फिल्म 'दम लगा के हईशा' से की. इस फिल्म में उन्होंने भारी वजन वाली दुल्हन का किरदार निभाया. इस फिल्म लिए उन्होंने लगभग 12 किलो वजन बढ़ाया था. फिल्म में उनके अभिनय को लोगों ने काफी सराहा. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का 'बेस्ट डेब्यू एक्टर' अवॉर्ड भी मिला था. इसके बाद उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम किया जिनमें 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा', 'शुभ मंगल सावधान', और 'बाला' शामिल हैं. इन फिल्मों में भूमि ने छोटे शहर की जिद्दी और मजबूत महिलाओं के किरदार निभाए.  'सोनचिरैया' के लिए ली बंदूक चलाने की ट्रेनिंगभूमि पेडनेकर अपने किरदार के लिए कड़ी मेहनत और जमकर तैयारी करती थीं. फिल्म 'सोनचिरैया' के लिए उन्होंने दो महीने तक बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली. साथ ही ग्रामीण की जिंदगियों को बारीकी से भी जाना. अपनी इस तैयारी से मिले एक्सपीरियंस को उन्होंने अपने किरदार में दिखाया, ताकि स्क्रीन पर वो असली लगे.  'सांड की आंख' में निभाया खास रोल इसी तरह, 'सांड की आंख' फिल्म में उन्होंने 70 वर्षीय शार्प शूटर का रोल निभाया था. अपने इस किरदार के लिए उन्होंने चिलचिलाती गर्मी में प्रोस्थेटिक मेकअप को कई घंटों तक पहनकर रखा था और ईमानदारी से भूमिका निभाई थी.  भूमि पेडनेकर ने जीते कई अवॉर्डभूमि को अपने अभिनय और सफल योगदान की वजह से कई अवॉर्ड से नवाजा गया है. उन्होंने तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते हैं, जिनमें 'बेस्ट डेब्यू एक्टर' और फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड शामिल हैं. उनकी फिल्मों को न सिर्फ दर्शकों ने पसंद किया, बल्कि आलोचकों ने भी उनकी अभिनय क्षमता की खूब तारीफ की. भूमि ने बॉलीवुड में अपने अभिनय से यह साबित किया कि वो सिर्फ ग्लैमर के लिए नहीं बल्कि गंभीर और चुनौतीपूर्ण रोल निभाने के लिए भी तैयार हैं. गंभीर मुद्दों पर भी रखती हैं नजरएक्टिंग के अलावा भूमि पेडनेकर पर्यावरण संरक्षण की सपोर्टर भी हैं. वो संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के लिए काम कर रही हैं. वो अक्सर लोगों को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जागरूक करती रहती हैं. 

Jul 16, 2025 - 23:30
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कभी बढ़ाया वजन, कभी बंदूक चलाने के लिए ली ट्रेनिंग, भूमि पेडनेकर ने ऐसे हर किरदार में फूंकी जान

बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया में जहां अक्सर ग्लैमर और स्टारडम को अहमियत दी जाती है, वहीं भूमि पेडनेकर एक ऐसी अदाकारा हैं, जिनके लिए किरदार सिर्फ फिल्म का हिस्सा नहीं, बल्कि एक ऐसी दुनिया है, जिसमें वह पूरी तरह डूब जाती हैं.

उन्होंने अपने करियर के हर एक किरदार को दिल से निभाया है, स्क्रीन पर उसे जिया है. चाहे बात 2015 में आई फिल्म 'दम लगा के हईशा' की हो, जिसमें उन्होंने अपने किरदार के लिए 12 किलो तक वजन बढ़ाया था, या फिर 2019 में आई 'सोनचिरैया' की हो, जिसमें उन्होंने दो महीने तक ग्रामीण लोगों की जिंदगी जीने और बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली थी.

असिस्टेंट कास्टिंग डायरेक्टर बनकर शुरू किया करियर
इन किरदारों में उनकी मेहनत सिर्फ शारीरिक नहीं थी, बल्कि मेंटल और इमोशनल भी थी.18 जुलाई 1989 को मुंबई में जन्मीं भूमि पेडनेकर कोंकणी और हरियाणवी परिवार से आती हैं. उनके पिता का नाम सतीश पेडनेकर है, जो महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री रह चुके हैं. एक्ट्रेस को अभिनय का शौक बचपन से ही था. उन्होंने शुरुआत में यशराज फिल्म्स में असिस्टेंट कास्टिंग डायरेक्टर के तौर पर काम किया और फिल्मी दुनिया का एक्सपीरियंस लिया.

'दम लगा के हईशा' से करियर की शानदार शुरुआत

  • भूमि ने अपने करियर की शुरुआत 2015 में फिल्म 'दम लगा के हईशा' से की. इस फिल्म में उन्होंने भारी वजन वाली दुल्हन का किरदार निभाया.
  • इस फिल्म लिए उन्होंने लगभग 12 किलो वजन बढ़ाया था. फिल्म में उनके अभिनय को लोगों ने काफी सराहा.
  • इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का 'बेस्ट डेब्यू एक्टर' अवॉर्ड भी मिला था.
  • इसके बाद उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम किया जिनमें 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा', 'शुभ मंगल सावधान', और 'बाला' शामिल हैं.
  • इन फिल्मों में भूमि ने छोटे शहर की जिद्दी और मजबूत महिलाओं के किरदार निभाए. 

'सोनचिरैया' के लिए ली बंदूक चलाने की ट्रेनिंग
भूमि पेडनेकर अपने किरदार के लिए कड़ी मेहनत और जमकर तैयारी करती थीं. फिल्म 'सोनचिरैया' के लिए उन्होंने दो महीने तक बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ली. साथ ही ग्रामीण की जिंदगियों को बारीकी से भी जाना. अपनी इस तैयारी से मिले एक्सपीरियंस को उन्होंने अपने किरदार में दिखाया, ताकि स्क्रीन पर वो असली लगे. 

'सांड की आंख' में निभाया खास रोल 
इसी तरह, 'सांड की आंख' फिल्म में उन्होंने 70 वर्षीय शार्प शूटर का रोल निभाया था. अपने इस किरदार के लिए उन्होंने चिलचिलाती गर्मी में प्रोस्थेटिक मेकअप को कई घंटों तक पहनकर रखा था और ईमानदारी से भूमिका निभाई थी. 

भूमि पेडनेकर ने जीते कई अवॉर्ड
भूमि को अपने अभिनय और सफल योगदान की वजह से कई अवॉर्ड से नवाजा गया है. उन्होंने तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते हैं, जिनमें 'बेस्ट डेब्यू एक्टर' और फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड शामिल हैं. उनकी फिल्मों को न सिर्फ दर्शकों ने पसंद किया, बल्कि आलोचकों ने भी उनकी अभिनय क्षमता की खूब तारीफ की. भूमि ने बॉलीवुड में अपने अभिनय से यह साबित किया कि वो सिर्फ ग्लैमर के लिए नहीं बल्कि गंभीर और चुनौतीपूर्ण रोल निभाने के लिए भी तैयार हैं.

गंभीर मुद्दों पर भी रखती हैं नजर
एक्टिंग के अलावा भूमि पेडनेकर पर्यावरण संरक्षण की सपोर्टर भी हैं. वो संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के लिए काम कर रही हैं. वो अक्सर लोगों को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जागरूक करती रहती हैं. 

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