'ऐसी तानाशाही को दोबारा नहीं होने देंगे', इमरजेंसी पर पवन कल्याण, कंगना रनौत ने कही ये बात
Kangana-Pawan On Emergency: इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर आज एक्टर पवन कल्याण और कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और एक्टर पवन कल्याण ने बुधवार को कहा कि 1975 में लगाया गया आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय था. वहीं कंगना रनौत ने उन लोगों को नमन किया है जिन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई. कंगना रनौत ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर की पोस्टकंगना रनौत ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर पोस्ट की है. एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया लिखा कि भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के सबसे काले अध्याय आपातकाल 25 जून, 1975 के विरोध में उठी प्रत्येक आवाज को सादर नमन. भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के सबसे काले अध्याय आपातकाल 25 जून, 1975 के विरोध में उठी प्रत्येक आवाज को सादर नमन।#SamvidhanHatyaDiwas pic.twitter.com/lBtSkgoq9c — Kangana Ranaut (@KanganaTeam) June 25, 2025 पवन कल्याण ने आपातकाल को संविधान के साथ विश्वासघात बतायावहीं पवन कल्याण ने आपातकाल को केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि संविधान के साथ विश्वासघात, लोकतंत्र का मखौल और तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व की सत्ता की लालसा का प्रतीक बताया.पवन कल्याण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "प्रेस को चुप कर दिया गया, विपक्ष की आवाज को दबा दिया गया और मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया. लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस, मोरारजी देसाई जैसे महान नेताओं को जेल में डाल दिया गया." "The Emergency" 25-06-1975 was one of the darkest chapters in the history of Independent India. It was not just a political event. It was a direct betrayal of the Constitution, a mockery of democracy, and a symbol of greed for power by the then Congress leadership.The press was… — Pawan Kalyan (@PawanKalyan) June 25, 2025 उन्होंने कहा कि आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर 'संविधान हत्या दिवस' मनाया जा रहा है, ताकि उन लोगों के बलिदान को याद किया जाए, जिन्होंने तानाशाही के खिलाफ डटकर मुकाबला किया और लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखा. पवन कल्याण ने आगे कहा, "हमें उन नेताओं के बलिदान और लाखों लोगों की पीड़ा को याद रखना चाहिए, जिनकी आवाज को दबाया गया. आज भी हमें संविधान को राजनीति के नाम पर कमजोर करने की कोशिशों से सावधान रहना होगा." ये भी पढ़ें:-'धूम 3' की ओरिजनल स्क्रिप्ट में थी अभिषेक बच्चन की ऑनस्क्रीन वाइफ ,आमिर खान का खुलासा, बोले- 'वो उसको तलाक देने वाली है'

Kangana-Pawan On Emergency: इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर आज एक्टर पवन कल्याण और कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और एक्टर पवन कल्याण ने बुधवार को कहा कि 1975 में लगाया गया आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे काला अध्याय था. वहीं कंगना रनौत ने उन लोगों को नमन किया है जिन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई.
कंगना रनौत ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर की पोस्ट
कंगना रनौत ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर पोस्ट की है. एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया लिखा कि भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के सबसे काले अध्याय आपातकाल 25 जून, 1975 के विरोध में उठी प्रत्येक आवाज को सादर नमन.
भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के सबसे काले अध्याय आपातकाल 25 जून, 1975 के विरोध में उठी प्रत्येक आवाज को सादर नमन।#SamvidhanHatyaDiwas pic.twitter.com/lBtSkgoq9c — Kangana Ranaut (@KanganaTeam) June 25, 2025
पवन कल्याण ने आपातकाल को संविधान के साथ विश्वासघात बताया
वहीं पवन कल्याण ने आपातकाल को केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि संविधान के साथ विश्वासघात, लोकतंत्र का मखौल और तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व की सत्ता की लालसा का प्रतीक बताया.पवन कल्याण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "प्रेस को चुप कर दिया गया, विपक्ष की आवाज को दबा दिया गया और मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया. लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस, मोरारजी देसाई जैसे महान नेताओं को जेल में डाल दिया गया."
"The Emergency" 25-06-1975 was one of the darkest chapters in the history of Independent India. It was not just a political event. It was a direct betrayal of the Constitution, a mockery of democracy, and a symbol of greed for power by the then Congress leadership.
The press was… — Pawan Kalyan (@PawanKalyan) June 25, 2025
उन्होंने कहा कि आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर 'संविधान हत्या दिवस' मनाया जा रहा है, ताकि उन लोगों के बलिदान को याद किया जाए, जिन्होंने तानाशाही के खिलाफ डटकर मुकाबला किया और लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखा. पवन कल्याण ने आगे कहा, "हमें उन नेताओं के बलिदान और लाखों लोगों की पीड़ा को याद रखना चाहिए, जिनकी आवाज को दबाया गया. आज भी हमें संविधान को राजनीति के नाम पर कमजोर करने की कोशिशों से सावधान रहना होगा."
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