उदयपुर फाइल्स को क्यों बैन करना चाहते हैं मौलाना अरशद मदनी, असली वजह ये है
राजस्थान के बहुचर्चित कन्हैया लाल टेलर हत्याकांड पर आधारित विजय राज स्टारर फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. इस फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग ज़ोर पकड़ रही है. 11 जुलाई को रिलीज़ होने वाली इस फिल्म को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट अरशद मदनी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में फिल्म पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. वहीं हत्याकांड के आरोपी जावेद ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज पर बैन की मांग की है. चलिए यहां पूरा मामला जानते हैं. अरशद मदनी ने क्यों की उदयपुर फाइल्स पर बैन की मांगजमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल साहू की हत्या पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर रोक लगाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है. मदनी की याचिका में कहा गया है कि ये फिल्म "बेहद भड़काऊ" है, जो सांप्रदायिक तनाव भड़काने और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकती है. इसमें आगे कहा गया है कि इसके ट्रेलर में भी सांप्रदायिक तनाव भड़काने की क्षमता है और यह एक बेहद विभाजनकारी और भड़काऊ कहानी पेश करती है. ये भी कहा गया है कि फिल्म में ज्ञानवापी मस्जिद के संवेदनशील और विचाराधीन मामले का ज़िक्र है, जो वर्तमान में वाराणसी जिला अदालत और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. मदनी की याचिका में ट्रेलर को हटाने के साथ फिल्म को बैन करन की मांग की गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में क्या हुआ?दिल्ली उच्च न्यायालय में फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने सख्त लहजे में कहा कि "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती." वहीं सेंसर बोर्ड के वकील ने अदालत को बताया कि फिल्म से सभी आपत्तिजनक सीन हटा दिए गए हैं. हालांकि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि फिल्म में ऐसे सीन हैं जो धार्मिक नफरत को भड़का सकते हैं और संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन कर सकते हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या विवादास्पद सामग्री को केवल ट्रेलर पर ही हटाया जाना चाहिए या पूरी फिल्म पर, और यह आश्वासन मांगा कि कुछ भी आपत्तिजनक नहीं रह गया है. हाईकोर्ट ने फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग का दिया आदेशइसके जवाब में, मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं की कानूनी टीम के लिए पूरी फिल्म दिखाई जाए फिल्म निर्माता के वकील चेतन शर्मा ने स्क्रीनिंग के दौरान एक निष्पक्ष ऑब्जर्वर की उपस्थिति की रिक्वेस्ट भी की, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने ज़ोर देकर कहा कि याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संवैधानिक निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी धार्मिक समुदाय को अपमानित करने का औचित्य नहीं देतीय मौलाना अरशद मदनी ने अदालत के रुख पर जताया संतोषवहीं कार्यवाही के बाद, मौलाना अरशद मदनी ने अदालत के रुख पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि निर्माताओं और सेंसर बोर्ड ने विवादास्पद दृश्यों को हटाने की बात स्वीकार की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अदालत का अंतिम फैसला संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखेगा और फिल्म की रिलीज़ के संबंध में मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करेगा। स्क्रीनिंग के बाद मामले पर फिर से विचार किया जाएगा और अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी. सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ? बता दें कि कन्हैया लाल की हत्या के आरोपियों में से एक जावेद ने 11 जुलाई को रिलीज होने वाली फिल्म पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि इसकी रिलीज से निष्पक्ष सुनवाई के उसके अधिकार का उल्लंघन होगा. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि फिल्म जून 2022 में हुए इस जघन्य मामले की घटनाओं की एकतरफा तस्वीर दिखाती है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि आरोपियों को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है. जावेद के वकील ने कहा, "यह शुक्रवार को रिलीज़ हो रही हैय वे केवल अभियोजन पक्ष का साइड दिखा रहे हैं."हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें कन्हैया लाल की भूमिका में विजय राज हैं. ये भी पढ़ें:-Sitaare Zameen Par Box Office Collection Day 20:तीसरे बुधवार घटी 'सितारे जमीन पर' की कमाई, लेकिन 'रेड 2' को देने वाली है मात! जानें- कलेक्शन

राजस्थान के बहुचर्चित कन्हैया लाल टेलर हत्याकांड पर आधारित विजय राज स्टारर फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. इस फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग ज़ोर पकड़ रही है. 11 जुलाई को रिलीज़ होने वाली इस फिल्म को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट अरशद मदनी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में फिल्म पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. वहीं हत्याकांड के आरोपी जावेद ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज पर बैन की मांग की है. चलिए यहां पूरा मामला जानते हैं.
अरशद मदनी ने क्यों की उदयपुर फाइल्स पर बैन की मांग
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल साहू की हत्या पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर रोक लगाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है. मदनी की याचिका में कहा गया है कि ये फिल्म "बेहद भड़काऊ" है, जो सांप्रदायिक तनाव भड़काने और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकती है.
इसमें आगे कहा गया है कि इसके ट्रेलर में भी सांप्रदायिक तनाव भड़काने की क्षमता है और यह एक बेहद विभाजनकारी और भड़काऊ कहानी पेश करती है. ये भी कहा गया है कि फिल्म में ज्ञानवापी मस्जिद के संवेदनशील और विचाराधीन मामले का ज़िक्र है, जो वर्तमान में वाराणसी जिला अदालत और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. मदनी की याचिका में ट्रेलर को हटाने के साथ फिल्म को बैन करन की मांग की गई है.
दिल्ली हाईकोर्ट में क्या हुआ?
दिल्ली उच्च न्यायालय में फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने सख्त लहजे में कहा कि "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती." वहीं सेंसर बोर्ड के वकील ने अदालत को बताया कि फिल्म से सभी आपत्तिजनक सीन हटा दिए गए हैं. हालांकि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि फिल्म में ऐसे सीन हैं जो धार्मिक नफरत को भड़का सकते हैं और संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन कर सकते हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या विवादास्पद सामग्री को केवल ट्रेलर पर ही हटाया जाना चाहिए या पूरी फिल्म पर, और यह आश्वासन मांगा कि कुछ भी आपत्तिजनक नहीं रह गया है.
हाईकोर्ट ने फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग का दिया आदेश
इसके जवाब में, मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं की कानूनी टीम के लिए पूरी फिल्म दिखाई जाए फिल्म निर्माता के वकील चेतन शर्मा ने स्क्रीनिंग के दौरान एक निष्पक्ष ऑब्जर्वर की उपस्थिति की रिक्वेस्ट भी की, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने ज़ोर देकर कहा कि याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संवैधानिक निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी धार्मिक समुदाय को अपमानित करने का औचित्य नहीं देतीय
मौलाना अरशद मदनी ने अदालत के रुख पर जताया संतोष
वहीं कार्यवाही के बाद, मौलाना अरशद मदनी ने अदालत के रुख पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि निर्माताओं और सेंसर बोर्ड ने विवादास्पद दृश्यों को हटाने की बात स्वीकार की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अदालत का अंतिम फैसला संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखेगा और फिल्म की रिलीज़ के संबंध में मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करेगा। स्क्रीनिंग के बाद मामले पर फिर से विचार किया जाएगा और अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
बता दें कि कन्हैया लाल की हत्या के आरोपियों में से एक जावेद ने 11 जुलाई को रिलीज होने वाली फिल्म पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि इसकी रिलीज से निष्पक्ष सुनवाई के उसके अधिकार का उल्लंघन होगा. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि फिल्म जून 2022 में हुए इस जघन्य मामले की घटनाओं की एकतरफा तस्वीर दिखाती है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि आरोपियों को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है.
जावेद के वकील ने कहा, "यह शुक्रवार को रिलीज़ हो रही हैय वे केवल अभियोजन पक्ष का साइड दिखा रहे हैं."हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें कन्हैया लाल की भूमिका में विजय राज हैं.
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