Aditya Sarpotdar Interview: 'थामा' ने क्यों सिकंदर का खून चूसा, बेताल ज्यादा ताकतवर या वैंपायर? जानें क्या बताया डायरेक्टर ने
मैडॉक हॉरर कॉमेडी यूनिवर्स की फिल्म 'थामा' ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल किया है. इस फिल्म के डायरेक्शन की कमान संभाली है इसी हॉरर कॉमेडी यूनिवर्स की पिछली ब्लॉकबस्टर फिल्म 'मुंज्या' बनाने वाले आदित्य सरपोतदार ने. फिल्म में सिकंदर जैसे ऐतिहासिक कैरेक्टर रखने की वजह क्या रही और मैडॉक ने वैंपायर की जगह क्यों बेताल को फिल्म का मेन कैरेक्टर रखा, फिल्म देखते समय ये सवाल अगर आपके मन में भी आए थे तो आदित्य सरपोतदार ने अपने इंटरव्यू में एबीपी न्यूज से कई इंट्रेस्टिंग बातें बताई हैं. सिकंदर की मौत कैसे हुई थी? फिल्म की कहानी शुरू होती है वहां से जहां एक बेताल आकर सिकंदर का खून पीकर उसे मार देता है. अब असल में कहानी ऐसी है नहीं. दरअसल सिकंदर की मौत के सदियों बाद कई इतिहासकारों ने अलग-अलग राय रखी. ब्रिटैनिका की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ आधुनिक इतिहासकारों के मुताबिक सिकंदर की मौत शायद निमोनिया या टायफॉयड से हुई होगी. कुछ का ये भी मानना था कि शायद सिकंदर की हत्या की गई हो या फिर उसे मलेरिया हो गया हो. हालांकि, आज तक किसी भी इतिहासकार के पास इसका कोई भी सटीक जवाब नहीं है. ऐसे में आदित्य सरपोतदार से हमने सवाल पूछा की 324 ईसा पूर्व जिस सवाल का जवाब आज भी हिस्ट्री के लिए सवाल ही है. उसे दिखाने का फैसला वो भी इतने रोमांचक तरीके से, आपने इसके बारे में कैसे सोचा. इसके जवाब में आदित्य सरपोतदार ने उसी उलझे हुए इतिहास से जवाब निकाला और बताया. आदित्य कहते हैं, 'सिकंदर की कहानी के कई वर्जन हैं. वो भारत से अपने देश वापस क्यों गया इसके भी कई अलग अलग मत थे, तो हमने सोचा कि क्या पता ऐसा भी हुआ हो जो हमने दिखाया. इसलिए हमने भी अपना वर्जन बना लिया. (हंसते हुए).' क्या जरूरत पड़ी सिकंदर वाला सीन रखने की? इसके जवाब में आदित्य कहते हैं, 'जब हम फैंटेसी से जुड़ी दुनिया बनाते हैं तो उसमें अगर रेफरेंसिंग रियल लाइफ से उठा सकते हो, और फिर उसे फैंटेसी बेस्ड करो, तो मजा आता है.' फिल्म में वैंपायर क्यों नहीं, बेताल क्यों? डायरेक्टर ने इसके जवाब में कहा, 'हम सबने वैंपायर्स पर बेस्ड बहुत सी फिल्में देखी हैं. वो जो हॉलीवुड वाले बनाते हैं वो उनके देशकाल वातारवरण के हिसाब से बनाते हैं. जहां बहुत ठंड होती है धूप नहीं निकलती, लेकिन इंडिया में तो ऐसी जगहें हैं नहीं. हम जहां रह रहे हैं वहां गर्मी होती है. ऐसे में यहां वैंपायर दिखाना कॉपी-पेस्ट जैसा लगता. इसलिए इसे अपने हिसाब से दिखाना होगा और अलग सोचना होगा.' वैंपायर से भी बहुत पहले से मौजूद हैं बेताल आगे आदित्य कहते हैं, 'इसीलिए जब हमने रिसर्च किया तो हमें कई किताबें मिलीं. 1940-50 के दशक में कुछ इंग्लिश राइटर्स ने लिखा था कि लिटरेचर में वैंपायर मुश्किल से 100-150 साल पहले आया था. लेकिन बेताल इससे बहुत पहले से इंडियन सबकॉन्टिनेंट में कहानियों का हिस्सा था. जो कि उन वैंपायर्स का भी बेस था. और यही मुझे इंट्रेस्टिंग लगा कि अगर वैंपायर का आइडिया ही बेताल से लिया गया है तो हम उनके ऊपर क्यों न फिल्म बनाएं.' आदित्य बताते हैं कि बेताल का आइडिया ही वैंपायर से पूरी तरह अलग है क्योंकि उसे धूप से भी कोई प्रॉब्लम नहीं होती. और हम ये क्लियर भी करना चाहते हैं कि ये स्टोरी हमारे यहां की है. बातचीत में आदित्य ने पूरी टीम को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता अगर राइटर से लेकर प्रोडक्शन हाउस और वीएफएक्स टीम उनका साथ नहीं देता. खैर हो कुछ भी फिल्म में जब इस तरह से इतिहास और माइथालॉजी का इंट्रेस्टिंग यूटिलाइजेशन किया जाएगा तो फिल्म तो लोगों को पसंद आएगी ही.
मैडॉक हॉरर कॉमेडी यूनिवर्स की फिल्म 'थामा' ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल किया है. इस फिल्म के डायरेक्शन की कमान संभाली है इसी हॉरर कॉमेडी यूनिवर्स की पिछली ब्लॉकबस्टर फिल्म 'मुंज्या' बनाने वाले आदित्य सरपोतदार ने.
फिल्म में सिकंदर जैसे ऐतिहासिक कैरेक्टर रखने की वजह क्या रही और मैडॉक ने वैंपायर की जगह क्यों बेताल को फिल्म का मेन कैरेक्टर रखा, फिल्म देखते समय ये सवाल अगर आपके मन में भी आए थे तो आदित्य सरपोतदार ने अपने इंटरव्यू में एबीपी न्यूज से कई इंट्रेस्टिंग बातें बताई हैं.
सिकंदर की मौत कैसे हुई थी?
फिल्म की कहानी शुरू होती है वहां से जहां एक बेताल आकर सिकंदर का खून पीकर उसे मार देता है. अब असल में कहानी ऐसी है नहीं. दरअसल सिकंदर की मौत के सदियों बाद कई इतिहासकारों ने अलग-अलग राय रखी. ब्रिटैनिका की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ आधुनिक इतिहासकारों के मुताबिक सिकंदर की मौत शायद निमोनिया या टायफॉयड से हुई होगी.
कुछ का ये भी मानना था कि शायद सिकंदर की हत्या की गई हो या फिर उसे मलेरिया हो गया हो. हालांकि, आज तक किसी भी इतिहासकार के पास इसका कोई भी सटीक जवाब नहीं है. ऐसे में आदित्य सरपोतदार से हमने सवाल पूछा की 324 ईसा पूर्व जिस सवाल का जवाब आज भी हिस्ट्री के लिए सवाल ही है. उसे दिखाने का फैसला वो भी इतने रोमांचक तरीके से, आपने इसके बारे में कैसे सोचा.
इसके जवाब में आदित्य सरपोतदार ने उसी उलझे हुए इतिहास से जवाब निकाला और बताया. आदित्य कहते हैं, 'सिकंदर की कहानी के कई वर्जन हैं. वो भारत से अपने देश वापस क्यों गया इसके भी कई अलग अलग मत थे, तो हमने सोचा कि क्या पता ऐसा भी हुआ हो जो हमने दिखाया. इसलिए हमने भी अपना वर्जन बना लिया. (हंसते हुए).'
क्या जरूरत पड़ी सिकंदर वाला सीन रखने की?
इसके जवाब में आदित्य कहते हैं, 'जब हम फैंटेसी से जुड़ी दुनिया बनाते हैं तो उसमें अगर रेफरेंसिंग रियल लाइफ से उठा सकते हो, और फिर उसे फैंटेसी बेस्ड करो, तो मजा आता है.'
फिल्म में वैंपायर क्यों नहीं, बेताल क्यों?
डायरेक्टर ने इसके जवाब में कहा, 'हम सबने वैंपायर्स पर बेस्ड बहुत सी फिल्में देखी हैं. वो जो हॉलीवुड वाले बनाते हैं वो उनके देशकाल वातारवरण के हिसाब से बनाते हैं. जहां बहुत ठंड होती है धूप नहीं निकलती, लेकिन इंडिया में तो ऐसी जगहें हैं नहीं. हम जहां रह रहे हैं वहां गर्मी होती है. ऐसे में यहां वैंपायर दिखाना कॉपी-पेस्ट जैसा लगता. इसलिए इसे अपने हिसाब से दिखाना होगा और अलग सोचना होगा.'
वैंपायर से भी बहुत पहले से मौजूद हैं बेताल
आगे आदित्य कहते हैं, 'इसीलिए जब हमने रिसर्च किया तो हमें कई किताबें मिलीं. 1940-50 के दशक में कुछ इंग्लिश राइटर्स ने लिखा था कि लिटरेचर में वैंपायर मुश्किल से 100-150 साल पहले आया था. लेकिन बेताल इससे बहुत पहले से इंडियन सबकॉन्टिनेंट में कहानियों का हिस्सा था. जो कि उन वैंपायर्स का भी बेस था. और यही मुझे इंट्रेस्टिंग लगा कि अगर वैंपायर का आइडिया ही बेताल से लिया गया है तो हम उनके ऊपर क्यों न फिल्म बनाएं.'
आदित्य बताते हैं कि बेताल का आइडिया ही वैंपायर से पूरी तरह अलग है क्योंकि उसे धूप से भी कोई प्रॉब्लम नहीं होती. और हम ये क्लियर भी करना चाहते हैं कि ये स्टोरी हमारे यहां की है.
बातचीत में आदित्य ने पूरी टीम को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता अगर राइटर से लेकर प्रोडक्शन हाउस और वीएफएक्स टीम उनका साथ नहीं देता. खैर हो कुछ भी फिल्म में जब इस तरह से इतिहास और माइथालॉजी का इंट्रेस्टिंग यूटिलाइजेशन किया जाएगा तो फिल्म तो लोगों को पसंद आएगी ही.
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