'धोबी घाट' के बाद 'लापता लेडीज' बनाने में किरण राव ने क्यों लिए 10 साल? आमिर खान ने बताई चौंकाने वाली वजह
किरण राव की बतौर निर्देशक पहली फिल्म धोबी घाट साल 2011 में आई थी. इसके 10 साल बाद उन्होंने साल 2024 में अरपनी दूसरी फिल्म लापता लेडीज़ बनाई थी. वहीं आमिर खान ने एक इंटरव्यू में अपनी एक्स वाइफ किरण राव के दोनों फिल्मों को बनाने में इतना लंबा ब्रेक लेने की वजह का खुलासा किया. आमिर ने क्यों किरण की दूसरी फिल्म की थी प्रोड्यूसकोमल नाहटा को उनके यूट्यूब चैनल गेम चेंजर्स पर दिए एक इंटरव्यू के दौरान अभिनेता-निर्माता आमिर खानने बताया कि 10 साल का यह इंतज़ार काफी हद तक उनके बेटे आज़ाद राव खान की वजह से था. जब उनसे पूछा गया कि धोबी घाट के कोई बड़ी कमर्शियल हिट न होने के बावजूद उन्होंने किरण की दूसरी निर्देशित फिल्म को प्रोड्यूस क्यों किया, तो आमिर ने क्लियर किया कि उन्होंने शुरू से ही इस फिल्म को मेन स्ट्रीम की फिल्म के रूप में नहीं देखा था. आमिर ने कहा,"दरअसल, किरण की फिल्म धोबी घाट कोई मेनस्ट्रीम की फिल्म नहीं है, इसलिए मैं इसे मुख्यधारा की फिल्म के रूप में नहीं देखता. यह एक विशिष्ट फिल्म है और यह एक खास संवेदनशीलता वाले लोगों के लिए है. उस संवेदनशीलता वाले लोगों के लिए, किरण जो फिल्म बना रही थीं, वह उसके प्रति ईमानदार थीं. उन्होंने इसे मेनस्ट्रीम की बनाने की कोशिश नहीं की, उन्होंने इसे पूरी ईमानदारी से बनाया." किरण में एक "कमर्शियल क्वालिटी" हैआमिर ने आगे कहा कि उन्हें हमेशा से लगता था कि किरण में एक "कमर्शियल क्वालिटी" है जिसे वो ज़ाहिर नहीं होने देतीं. उन्होंने याद करते हुए कहा, "धोबी घाट के तुरंत बाद मैंने उनसे कहा था कि आप बहुत अच्छी निर्देशक हैं, आप अभिनय को समझती हैं, भावनाओं को समझती हैं, इसे थोड़ा फैलाएं, ऐसा विषय चुनें जो ज़्यादा मेनस्ट्रीम का हो." क्यों किरण राव ने धोबीघाट के 10 साल बाद बनाई लापता लेडीज? हालांकि, एक दशक का ये ब्रेक किरण की मातृ-प्रवृत्ति के कारण था. आमिर ने बताया, "उन्होंने आज़ाद के होने के कारण यह मुकाम हासिल नहीं किया और मुझे एहसास हुआ कि एक महिला होने के नाते, उनकी पहली प्रवृत्ति आज़ाद ही थे. एक क्रिएटिव पर्सनल के रूप में उन्होंने चाहे कितनी भी कोशिश की हो, वह कुछ समय बाद वापस आ ही जाती थीं. उन्हें पता था कि अगर वह कोई फिल्म शुरू करेंगी, तो उसे छोड़ देंगी. इसलिए एक मातृ-प्रवृत्ति के कारण, वह तब तक इसमें शामिल नहीं हुईं जब तक कि आज़ाद एक खास उम्र तक नहीं पहुंच गए जब उन्हें एहसास हुआ कि अब मैं फिल्म बना सकता हूं. और तभी "लापता लेडीज़" बनी." किरण राव की ताकत ईमानदारी में हैदिलचस्प बात यह है कि लापता लेडीज़ की स्क्रिप्ट एक कंप्टीनश के ज़रिए आई थी. आमिर ने खुलासा किया, "जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मुझे यह बहुत ही कमर्शियल और सटीक लगी. इसका प्लॉट बहुत ही ड्रामैटिक है और फीलिंग्स बहुत अच्छी हैं. मैंने किरण से कहा कि मुझे यह आपके लिए मिल गया है जिसकी मुझे तलाश थी." एक फ़िल्म निर्माता के रूप में किरण मे क्या हैं खूबियांउन्होंने आगे बताया कि किरण भी तुरंत इससे जुड़ गईं. एक फ़िल्म निर्माता के रूप में किरण की खूबियों पर विचार करते हुए, आमिर ने कहा, "देखिए, अगर आप धोबी घाट फिर से देखें, तो यास्मीन का किरदार ही अपने वीडियो बनाता है. यह एक बहुत ही भावुक और रोमांचक ट्रैक है, आपको ऐसा लगता है कि आप अगले वीडियो में आगे क्या होता है, यह देखना चाहते हैं.ये सभी छोटी-छोटी बातें आपको एक निर्देशक की क्षमता बताती हैंय उनकी ताकत उनकी ईमानदारी है और लापता लेडीज़ में मुझे लगा कि आप जितने ईमानदार होंगे, ड्रामा उतना ही बढ़ता जाएगा." ये भी पढ़ें:-Baaghi 4 Box office Collection Day 10: दूदूसरे वीकेंड पर नहीं चला ‘बागी 4’ का जादू, क्या वसूल पाएगी बजट? जानें- 10 दिनों का कलेक्शन

किरण राव की बतौर निर्देशक पहली फिल्म धोबी घाट साल 2011 में आई थी. इसके 10 साल बाद उन्होंने साल 2024 में अरपनी दूसरी फिल्म लापता लेडीज़ बनाई थी. वहीं आमिर खान ने एक इंटरव्यू में अपनी एक्स वाइफ किरण राव के दोनों फिल्मों को बनाने में इतना लंबा ब्रेक लेने की वजह का खुलासा किया.
आमिर ने क्यों किरण की दूसरी फिल्म की थी प्रोड्यूस
कोमल नाहटा को उनके यूट्यूब चैनल गेम चेंजर्स पर दिए एक इंटरव्यू के दौरान अभिनेता-निर्माता आमिर खानने बताया कि 10 साल का यह इंतज़ार काफी हद तक उनके बेटे आज़ाद राव खान की वजह से था. जब उनसे पूछा गया कि धोबी घाट के कोई बड़ी कमर्शियल हिट न होने के बावजूद उन्होंने किरण की दूसरी निर्देशित फिल्म को प्रोड्यूस क्यों किया, तो आमिर ने क्लियर किया कि उन्होंने शुरू से ही इस फिल्म को मेन स्ट्रीम की फिल्म के रूप में नहीं देखा था.
आमिर ने कहा,"दरअसल, किरण की फिल्म धोबी घाट कोई मेनस्ट्रीम की फिल्म नहीं है, इसलिए मैं इसे मुख्यधारा की फिल्म के रूप में नहीं देखता. यह एक विशिष्ट फिल्म है और यह एक खास संवेदनशीलता वाले लोगों के लिए है. उस संवेदनशीलता वाले लोगों के लिए, किरण जो फिल्म बना रही थीं, वह उसके प्रति ईमानदार थीं. उन्होंने इसे मेनस्ट्रीम की बनाने की कोशिश नहीं की, उन्होंने इसे पूरी ईमानदारी से बनाया."
किरण में एक "कमर्शियल क्वालिटी" है
आमिर ने आगे कहा कि उन्हें हमेशा से लगता था कि किरण में एक "कमर्शियल क्वालिटी" है जिसे वो ज़ाहिर नहीं होने देतीं. उन्होंने याद करते हुए कहा, "धोबी घाट के तुरंत बाद मैंने उनसे कहा था कि आप बहुत अच्छी निर्देशक हैं, आप अभिनय को समझती हैं, भावनाओं को समझती हैं, इसे थोड़ा फैलाएं, ऐसा विषय चुनें जो ज़्यादा मेनस्ट्रीम का हो."
क्यों किरण राव ने धोबीघाट के 10 साल बाद बनाई लापता लेडीज?
हालांकि, एक दशक का ये ब्रेक किरण की मातृ-प्रवृत्ति के कारण था. आमिर ने बताया, "उन्होंने आज़ाद के होने के कारण यह मुकाम हासिल नहीं किया और मुझे एहसास हुआ कि एक महिला होने के नाते, उनकी पहली प्रवृत्ति आज़ाद ही थे. एक क्रिएटिव पर्सनल के रूप में उन्होंने चाहे कितनी भी कोशिश की हो, वह कुछ समय बाद वापस आ ही जाती थीं. उन्हें पता था कि अगर वह कोई फिल्म शुरू करेंगी, तो उसे छोड़ देंगी. इसलिए एक मातृ-प्रवृत्ति के कारण, वह तब तक इसमें शामिल नहीं हुईं जब तक कि आज़ाद एक खास उम्र तक नहीं पहुंच गए जब उन्हें एहसास हुआ कि अब मैं फिल्म बना सकता हूं. और तभी "लापता लेडीज़" बनी."
किरण राव की ताकत ईमानदारी में है
दिलचस्प बात यह है कि लापता लेडीज़ की स्क्रिप्ट एक कंप्टीनश के ज़रिए आई थी. आमिर ने खुलासा किया, "जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मुझे यह बहुत ही कमर्शियल और सटीक लगी. इसका प्लॉट बहुत ही ड्रामैटिक है और फीलिंग्स बहुत अच्छी हैं. मैंने किरण से कहा कि मुझे यह आपके लिए मिल गया है जिसकी मुझे तलाश थी."
एक फ़िल्म निर्माता के रूप में किरण मे क्या हैं खूबियां
उन्होंने आगे बताया कि किरण भी तुरंत इससे जुड़ गईं. एक फ़िल्म निर्माता के रूप में किरण की खूबियों पर विचार करते हुए, आमिर ने कहा, "देखिए, अगर आप धोबी घाट फिर से देखें, तो यास्मीन का किरदार ही अपने वीडियो बनाता है. यह एक बहुत ही भावुक और रोमांचक ट्रैक है, आपको ऐसा लगता है कि आप अगले वीडियो में आगे क्या होता है, यह देखना चाहते हैं.ये सभी छोटी-छोटी बातें आपको एक निर्देशक की क्षमता बताती हैंय उनकी ताकत उनकी ईमानदारी है और लापता लेडीज़ में मुझे लगा कि आप जितने ईमानदार होंगे, ड्रामा उतना ही बढ़ता जाएगा."
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