सौरभ राज जैन को वकील बनाना चाहती थीं मां, फिर एक ऑडिशन ने बदली टीवी के 'कृष्ण' की जिंदगी
सौरभ राज जैन को लोग उनके नाम से कम और टीवी के कृष्ण से ज्यादा जानते हैं. 'महाभारत' में श्रीकृष्ण भगवान का किरदार अदा करके एक्टर ने बहुत कम वक्त में अपने टैलेंट से शानदार फैन फॉलोविंग बनाई. हाल ही में सौरभ ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो एक एक्टर बनेंगे. उनकी मां हमेशा से उन्हें एक वकील के रूप में देखना चाहती थीं. रणवीर इलाहाबादिया के साथ हालिया पॉडकास्ट में सौरभ राज जैन ने कहा- 'मुझे लगता है कि वो (मां) कभी चाहती थी कि मैं एक्टर बनूं. मैं एक वकीलों की फैमिली से आता हूं. मेरी मां वकील हैं, मेरे नानू वकील थे. तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक्टर बनूंगा. उन्होंने क्या मैंने कभी नहीं सोचा था मैं एक्टर बनूंगा और बन गया.' सौरभ को वकील बनाना चाहती थीं मांसौरभ ने आगे कहा- 'काफी टाइम तक, जब तक मैं मुंबई नहीं आ गया और महाभारत नहीं हुई या उसके बाद भी मेरी मैं हमेशा कहती थीं कि तू ना लॉ कर ले, तू लॉ कर ले. वो मुझे ऐसा कहती रहती थीं, मतलब मेरा एक शो खत्म होता था और एक शो खत्म होता है. तो आपको नहीं पता होता है कि आपको अगला शो कम मिलेगा. उस वक्त एक वेटिंग पीरियड होता है. तो जो वो वेटिंग पीरियड जो होता है ना उसमें घर वाले बहुत ऐसे हो जाते हैं यार बच्चा कुछ कर नहीं रहा है. उस टाइम पर मेरी मां हमेशा कहती थीं कि चल तू इंतजार कर रहा है कर ले, लेकिन मैं ना तेरा लॉ का कहीं पर फॉर्म भरकर आ जाती हूं, वो भी कर लेना साथ में.' View this post on Instagram A post shared by Sourabh Raaj Jain (@sourabhraaj.jain) ऐसे दिया पहला ऑडिशनसौरभ इस दौरान अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत के बारे में भी बताते हैं. वो कहते हैं- 'मैं 2004 में मुंबई आया था, रिमिक्स शो के लिए. सेकंड ईयर ऑफ कॉलेज में था जब सिलेक्शन हुआ रिमिक्स का. मुझे याद हैं सृष्टि दी जो रोज ऑडियो विजुअल की प्रोड्यूसर हैं, गोल्डी बेल्ट की सिस्टर. उन्होंने मेरा पहला ऑडिशन लिया था. वहां पर जिस तरह से ऑडिशन हुआ वो आज भी मैं सोचता हूं तो लगता है कि जैसे एक स्क्रिप्ट लिखी जा रही है.' एक्टर बताते हैं- 'मैं अपने दोस्त के साथ ऑडिशन पर गया था जो एक्टिंग करना चाहता था. हम दोनों साथ में कॉलेज जाते थे कॉलेज से आते थे और उसने मुझे बोला यार आज मेरा एक ऑडिशन है तू साथ में चल और मैं गया उसके साथ. वहां पर सृष्टि दी ने मुझे देखा और कहा कि तुम क्यों नहीं ऑडिशन देते तो मैंने उनको बोला मुझे नहीं पता ऑडिशन का. मुझे कोई आईडिया नहीं था कि ऑडिशन कैसे दिया जाता है. तो मैंने बोला वो क्या होता है? उन्होंने एक पेपर दिया कि ये लाइंस हैं इसको याद करो बस कैमरे के आगे बोल दो. तो मैंने पढ़ी लाइंस और मैंने बोला ठीक है.' ऑडिशन के दो महीने बाद आया फोनसौरभ अपने फर्स्ट ऑडिशन के दिन को याद करते हुए कहते हैं- 'कॉलेज में बालों में ऑयल लगा के जाता था कई बार. तो उस दिन ऑयल भी लगा हुआ था. सृष्टि दी, जिस होटल में वो आई थी ऑडिशन लेने के लिए वहां के रूम के वाशरूम में मुझे ले गईं और कहा कि यहां पर अभी पहले शैंपू करो. आपके बाल ड्राई करेंगे और फिर आप ऑडिशन देंगे. मैंने बोला ये भी सही है कर लेते हैं. और बस वहीं से जर्नी शुरू हुई. दो महीने बाद कॉल आया और जब कॉल आया तो फिर लगा कि ट्राई तो करना चाहिए.' एक्टिंग के लिए नहीं मिल रही थी पेरेंट्स की परमिशनसौरभ कहते हैं- 'जहां पर मैं था उस टाइम पर ऐसे टीवी में आना बहुत बड़ी बात होती थी. मतलब उस टाइम पर शायद अभी है या नहीं मुझे नहीं पता लेकिन उस टाइम पर बहुत बड़ी बात होती थी. मुझे लगा एक मौका है इसको हाथ से नहीं छोड़ना चाहिए. पेरेंट्स परमिशन नहीं दे रहे थे. लेकिन कहीं ना कहीं मेरा दिल कह रहा था कि नहीं एक बार ट्राई करना चाहिए. कॉल आया है तो एक बार जाना चाहिए. मुझे लगता है कि ये खुशकिस्मती थी और ऐसे मैं मुंबई आया.'

सौरभ राज जैन को लोग उनके नाम से कम और टीवी के कृष्ण से ज्यादा जानते हैं. 'महाभारत' में श्रीकृष्ण भगवान का किरदार अदा करके एक्टर ने बहुत कम वक्त में अपने टैलेंट से शानदार फैन फॉलोविंग बनाई. हाल ही में सौरभ ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो एक एक्टर बनेंगे. उनकी मां हमेशा से उन्हें एक वकील के रूप में देखना चाहती थीं.
रणवीर इलाहाबादिया के साथ हालिया पॉडकास्ट में सौरभ राज जैन ने कहा- 'मुझे लगता है कि वो (मां) कभी चाहती थी कि मैं एक्टर बनूं. मैं एक वकीलों की फैमिली से आता हूं. मेरी मां वकील हैं, मेरे नानू वकील थे. तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक्टर बनूंगा. उन्होंने क्या मैंने कभी नहीं सोचा था मैं एक्टर बनूंगा और बन गया.'
सौरभ को वकील बनाना चाहती थीं मां
सौरभ ने आगे कहा- 'काफी टाइम तक, जब तक मैं मुंबई नहीं आ गया और महाभारत नहीं हुई या उसके बाद भी मेरी मैं हमेशा कहती थीं कि तू ना लॉ कर ले, तू लॉ कर ले. वो मुझे ऐसा कहती रहती थीं, मतलब मेरा एक शो खत्म होता था और एक शो खत्म होता है. तो आपको नहीं पता होता है कि आपको अगला शो कम मिलेगा. उस वक्त एक वेटिंग पीरियड होता है. तो जो वो वेटिंग पीरियड जो होता है ना उसमें घर वाले बहुत ऐसे हो जाते हैं यार बच्चा कुछ कर नहीं रहा है. उस टाइम पर मेरी मां हमेशा कहती थीं कि चल तू इंतजार कर रहा है कर ले, लेकिन मैं ना तेरा लॉ का कहीं पर फॉर्म भरकर आ जाती हूं, वो भी कर लेना साथ में.'
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ऐसे दिया पहला ऑडिशन
सौरभ इस दौरान अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत के बारे में भी बताते हैं. वो कहते हैं- 'मैं 2004 में मुंबई आया था, रिमिक्स शो के लिए. सेकंड ईयर ऑफ कॉलेज में था जब सिलेक्शन हुआ रिमिक्स का. मुझे याद हैं सृष्टि दी जो रोज ऑडियो विजुअल की प्रोड्यूसर हैं, गोल्डी बेल्ट की सिस्टर. उन्होंने मेरा पहला ऑडिशन लिया था. वहां पर जिस तरह से ऑडिशन हुआ वो आज भी मैं सोचता हूं तो लगता है कि जैसे एक स्क्रिप्ट लिखी जा रही है.'
एक्टर बताते हैं- 'मैं अपने दोस्त के साथ ऑडिशन पर गया था जो एक्टिंग करना चाहता था. हम दोनों साथ में कॉलेज जाते थे कॉलेज से आते थे और उसने मुझे बोला यार आज मेरा एक ऑडिशन है तू साथ में चल और मैं गया उसके साथ. वहां पर सृष्टि दी ने मुझे देखा और कहा कि तुम क्यों नहीं ऑडिशन देते तो मैंने उनको बोला मुझे नहीं पता ऑडिशन का. मुझे कोई आईडिया नहीं था कि ऑडिशन कैसे दिया जाता है. तो मैंने बोला वो क्या होता है? उन्होंने एक पेपर दिया कि ये लाइंस हैं इसको याद करो बस कैमरे के आगे बोल दो. तो मैंने पढ़ी लाइंस और मैंने बोला ठीक है.'
ऑडिशन के दो महीने बाद आया फोन
सौरभ अपने फर्स्ट ऑडिशन के दिन को याद करते हुए कहते हैं- 'कॉलेज में बालों में ऑयल लगा के जाता था कई बार. तो उस दिन ऑयल भी लगा हुआ था. सृष्टि दी, जिस होटल में वो आई थी ऑडिशन लेने के लिए वहां के रूम के वाशरूम में मुझे ले गईं और कहा कि यहां पर अभी पहले शैंपू करो. आपके बाल ड्राई करेंगे और फिर आप ऑडिशन देंगे. मैंने बोला ये भी सही है कर लेते हैं. और बस वहीं से जर्नी शुरू हुई. दो महीने बाद कॉल आया और जब कॉल आया तो फिर लगा कि ट्राई तो करना चाहिए.'
एक्टिंग के लिए नहीं मिल रही थी पेरेंट्स की परमिशन
सौरभ कहते हैं- 'जहां पर मैं था उस टाइम पर ऐसे टीवी में आना बहुत बड़ी बात होती थी. मतलब उस टाइम पर शायद अभी है या नहीं मुझे नहीं पता लेकिन उस टाइम पर बहुत बड़ी बात होती थी. मुझे लगा एक मौका है इसको हाथ से नहीं छोड़ना चाहिए. पेरेंट्स परमिशन नहीं दे रहे थे. लेकिन कहीं ना कहीं मेरा दिल कह रहा था कि नहीं एक बार ट्राई करना चाहिए. कॉल आया है तो एक बार जाना चाहिए. मुझे लगता है कि ये खुशकिस्मती थी और ऐसे मैं मुंबई आया.'
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