'बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना', 50 साल पहले सोवियत संघ में ऐसे नारे क्यों लगाए जाने लगे थे?
इस 15 अगस्त इंडियन सिनेमा की कल्ट फिल्म 'शोले' की रिलीज के 50 साल पूरे हो रहे हैं. फिल्म की 50वीं वर्षगांठ पर रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी ये फिल्म 6 सितंबर को टोरंटो में प्रीमियर की जाएगी. फिल्म का 4K वर्जन अमिरेका में दर्शकों के लिए उपलब्ध होगा. फिल्म से जुड़ी इतनी बड़ी खबर आने के बाद इस फिल्म को लेकर फिर से चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं. ऐसे में चलिए जान लेते हैं इस फिल्म से जुड़ी कई कमाल की बातें जो आपको एहसास दिलाएंगी कि ये फिल्म कल्ट क्यों बनी. विदेशों में भी खूब देखी गई ये फिल्म अमिताभ बच्चन-धर्मेंद्र और अमजद खान की ये फिल्म इंडिया में करीब 2000 दिनों से ज्यादा लगी रही. कई सिल्वर और गोल्डन जुबिली पाने वाली ये फिल्म सिर्फ इंडिया में ही नहीं, विदेशों में भी खूब देखी गई थी. इस फिल्म को मिडिल ईस्ट में और सोवियत संघ में खूब सराहा गया. सोवियत संघ तक सबसे पहले बॉलीवुड फिल्मों की दीवानगी फैलाने वाले एक्टर राजकपूर रहे. उनके सालों बाद 'शोले' को लेकर भी ऐसी ही दीवानगी रही. उस दौरान सोवियत संघ में 'शोले' ने लाखों लोगों को फैन बना लिया. इसके डब प्रिंट्स के अंडरग्राउंड फैन क्लब तक बन गए. ये फैंस 'शोले' के डायलॉग्स तक रट चुके थे. इन्होंने तब टूटी-फूटी हिंदी में 'बसंत इन कुत्तों के सामने मत नाचना' जैसे नारे तक लगाने शुरू कर दिए थे. इतना ही नहीं इसके बाद पाकिस्तान में साल 1979 में आई फिल्म मौला जट्ट जैसी फिल्में भी इसी फिल्म से इंस्पायर्ड रहीं. यही नहीं टर्की जैसे देश ने भी इसी फिल्म से प्रेरणा लेकर अपने यहां एक्शन फिल्में भी बनानी शुरू कर दीं. 'शोले' का बजट और बॉक्स ऑफिस कलेक्शन उस जमाने में 'शोले' को 3 करोड़ रुपये के बेहद महंगे बजट में तैयार किया गया था और इस फिल्म ने अपने बजट का करीब 12 गुना कमाई की थी. फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन उस जमाने में 35 करोड़ था जो 1994 में 'हम आपके हैं कौन' आने तक सबसे ज्यादा कलेक्शन रहा.

इस 15 अगस्त इंडियन सिनेमा की कल्ट फिल्म 'शोले' की रिलीज के 50 साल पूरे हो रहे हैं. फिल्म की 50वीं वर्षगांठ पर रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी ये फिल्म 6 सितंबर को टोरंटो में प्रीमियर की जाएगी. फिल्म का 4K वर्जन अमिरेका में दर्शकों के लिए उपलब्ध होगा.
फिल्म से जुड़ी इतनी बड़ी खबर आने के बाद इस फिल्म को लेकर फिर से चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं. ऐसे में चलिए जान लेते हैं इस फिल्म से जुड़ी कई कमाल की बातें जो आपको एहसास दिलाएंगी कि ये फिल्म कल्ट क्यों बनी.
विदेशों में भी खूब देखी गई ये फिल्म
अमिताभ बच्चन-धर्मेंद्र और अमजद खान की ये फिल्म इंडिया में करीब 2000 दिनों से ज्यादा लगी रही. कई सिल्वर और गोल्डन जुबिली पाने वाली ये फिल्म सिर्फ इंडिया में ही नहीं, विदेशों में भी खूब देखी गई थी.
- इस फिल्म को मिडिल ईस्ट में और सोवियत संघ में खूब सराहा गया. सोवियत संघ तक सबसे पहले बॉलीवुड फिल्मों की दीवानगी फैलाने वाले एक्टर राजकपूर रहे. उनके सालों बाद 'शोले' को लेकर भी ऐसी ही दीवानगी रही.
- उस दौरान सोवियत संघ में 'शोले' ने लाखों लोगों को फैन बना लिया. इसके डब प्रिंट्स के अंडरग्राउंड फैन क्लब तक बन गए. ये फैंस 'शोले' के डायलॉग्स तक रट चुके थे. इन्होंने तब टूटी-फूटी हिंदी में 'बसंत इन कुत्तों के सामने मत नाचना' जैसे नारे तक लगाने शुरू कर दिए थे.
- इतना ही नहीं इसके बाद पाकिस्तान में साल 1979 में आई फिल्म मौला जट्ट जैसी फिल्में भी इसी फिल्म से इंस्पायर्ड रहीं. यही नहीं टर्की जैसे देश ने भी इसी फिल्म से प्रेरणा लेकर अपने यहां एक्शन फिल्में भी बनानी शुरू कर दीं.
'शोले' का बजट और बॉक्स ऑफिस कलेक्शन
उस जमाने में 'शोले' को 3 करोड़ रुपये के बेहद महंगे बजट में तैयार किया गया था और इस फिल्म ने अपने बजट का करीब 12 गुना कमाई की थी. फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन उस जमाने में 35 करोड़ था जो 1994 में 'हम आपके हैं कौन' आने तक सबसे ज्यादा कलेक्शन रहा.
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