जब तनुजा ने लगाई थी देव आनंद को डांट, अंदाज देख गले लग गए थे एक्टर

तनुजा मुखर्जी को हिंदी सिनेमा में सिर्फ तनुजा के नाम से जाना जाता है. एक दौर में उन्होंने अपनी अट्रैक्टिव मुस्कान और एक्टिंग से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था. 23 सितंबर 1943 को मुंबई के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मीं तनुजा ने डेरिग किरदारों से बॉलीवुड को एक नया डाइमेंशन दिया. उनकी हंसी, जो स्क्रीन पर गूंजती थी और उनकी गहरी आंखें, जो कहानियां बयां करती थीं, आज भी सिनेमा प्रेमियों के जहन में बसी हैं. तनुजा ने अपनी राह खुद चुनीतनुजा का जन्म उस परिवार में हुआ जो भारतीय सिनेमा का पर्याय था. उनकी मां, शोभना समर्थ, और बड़ी बहन, नूतन, दोनों ही अपने समय की दिग्गज अभिनेत्रियां थीं. दादी रतन बाई और मौसी नलिनी जयवंत भी सिनेमा की दुनिया में एस्टेब्लिश नाम थे. ऐसे में तनुजा का फिल्मों की ओर रुचि नेचुरल था, लेकिन उन्होंने अपने लिए एक अलग पहचान बनाई. बचपन से ही रिबेलियस नेचर और फ्री सोच की मालकिन तनुजा ने अपनी राह खुद चुनी. बाल कलाकार के रूप में तनुजा ने इंडस्ट्री मे कदम रखा महज सात साल की उम्र में तनुजा ने 1950 में ‘हमारी बेटी’ में बाल कलाकार के रूप में कदम रखा. लेकिन असली शुरुआत 1960 में मां शोभना समर्थ के निर्देशन में बनी ‘छबीली’ से हुई. इसके बाद ‘ज्वेल थीफ’ में देव आनंद के साथ उनकी जोड़ी ने धूम मचाई. उनकी सहजता और स्क्रीन प्रजेंस ने उन्हें 60 और 70 के दशक की सबसे चहेती अभिनेत्रियों में शुमार किया. चाहे ‘दोस्त’ में राजेश खन्ना के साथ उनकी रोमांटिक केमिस्ट्री हो या ‘पवित्र पापी’ (1970) में उनकी इमोशनल गहराई, तनुजा ने हर किरदार को जीवंत कर दिया. तनुजा और देवानंद का दोस्तानातनुजा की दोस्ती देवानंद के साथ बहुत गहरी थी. उनकी दोस्ती का एक किस्सा काफी मशहूर है, जो उनकी दोस्ती की गहराई और तनुजा के रिबेलियस नेचर को दर्शाता है, जिसने एक सुपरस्टार को भी हंसने पर मजबूर कर दिया. इसके बारे में तनुजा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था. ये किस्सा निर्देशक विजय आनंद की मशहूर फिल्म 'गाइड' की शूटिंग के दिनों का है. फिल्म के हीरो देव आनंद उस समय अपनी बहन को लेकर बहुत परेशान थे, जिनकी तबियत ठीक नहीं थी. उनकी चिंता इतनी गहरी थी कि वह शूटिंग के दौरान भी अक्सर खोए-खोए रहते थे. हर कोई उनकी परेशानी को समझता था, लेकिन कोई उनसे सीधे बात करने की हिम्मत नहीं करता था. इसी बीच तनुजा ने उन्हें परेशान देखा. बिना किसी झिझक के वह उनके पास गईं. जहां बाकी लोग उनसे सम्मान से बात करते थे, वहीं तनुजा ने अपने दोस्त से बिलकुल अलग अंदाज में बात की. तनुजा ने देव आनंद से कहा- 'आप सिर्फ अपनी बहन के बारे में क्यों सोचते हैं? अपनी जिंदगी जियो और खुश रहो.' देव आनंद, जो अपनी बहन को लेकर बहुत परेशान थे, तनुजा के इस अंदाज से हैरान रह गए. वह एक मोमेंट के लिए चुप रहे और फिर उन्होंने तनुजा को गले लगा लिया. उन्होंने कहा- 'तुम एक वंडरफुल इंसान हो.' इस डांट में उन्हें एक दोस्त का सच्चा प्यार और परवाह दिखाई दी. तनुजा ने इस किस्से को साझा करते हुए बताया था कि देव आनंद उनके लिए एक ऐसे दोस्त थे जिनसे वह बिना सोचे समझे कोई भी बात कह सकती थीं. तनुजा का यह किस्सा उनकी सहजता और उनके बिंदास नेचर को दर्शाता है.

Sep 23, 2025 - 21:30
 0
जब तनुजा ने लगाई थी देव आनंद को डांट, अंदाज देख गले लग गए थे एक्टर

तनुजा मुखर्जी को हिंदी सिनेमा में सिर्फ तनुजा के नाम से जाना जाता है. एक दौर में उन्होंने अपनी अट्रैक्टिव मुस्कान और एक्टिंग से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था.

23 सितंबर 1943 को मुंबई के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मीं तनुजा ने डेरिग किरदारों से बॉलीवुड को एक नया डाइमेंशन दिया. उनकी हंसी, जो स्क्रीन पर गूंजती थी और उनकी गहरी आंखें, जो कहानियां बयां करती थीं, आज भी सिनेमा प्रेमियों के जहन में बसी हैं.

तनुजा ने अपनी राह खुद चुनी
तनुजा का जन्म उस परिवार में हुआ जो भारतीय सिनेमा का पर्याय था. उनकी मां, शोभना समर्थ, और बड़ी बहन, नूतन, दोनों ही अपने समय की दिग्गज अभिनेत्रियां थीं. दादी रतन बाई और मौसी नलिनी जयवंत भी सिनेमा की दुनिया में एस्टेब्लिश नाम थे. ऐसे में तनुजा का फिल्मों की ओर रुचि नेचुरल था, लेकिन उन्होंने अपने लिए एक अलग पहचान बनाई. बचपन से ही रिबेलियस नेचर और फ्री सोच की मालकिन तनुजा ने अपनी राह खुद चुनी.

बाल कलाकार के रूप में तनुजा ने इंडस्ट्री मे कदम रखा

महज सात साल की उम्र में तनुजा ने 1950 में ‘हमारी बेटी’ में बाल कलाकार के रूप में कदम रखा. लेकिन असली शुरुआत 1960 में मां शोभना समर्थ के निर्देशन में बनी ‘छबीली’ से हुई. इसके बाद ‘ज्वेल थीफ’ में देव आनंद के साथ उनकी जोड़ी ने धूम मचाई. उनकी सहजता और स्क्रीन प्रजेंस ने उन्हें 60 और 70 के दशक की सबसे चहेती अभिनेत्रियों में शुमार किया. चाहे ‘दोस्त’ में राजेश खन्ना के साथ उनकी रोमांटिक केमिस्ट्री हो या ‘पवित्र पापी’ (1970) में उनकी इमोशनल गहराई, तनुजा ने हर किरदार को जीवंत कर दिया.

तनुजा और देवानंद का दोस्ताना
तनुजा की दोस्ती देवानंद के साथ बहुत गहरी थी. उनकी दोस्ती का एक किस्सा काफी मशहूर है, जो उनकी दोस्ती की गहराई और तनुजा के रिबेलियस नेचर को दर्शाता है, जिसने एक सुपरस्टार को भी हंसने पर मजबूर कर दिया. इसके बारे में तनुजा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था.

ये किस्सा निर्देशक विजय आनंद की मशहूर फिल्म 'गाइड' की शूटिंग के दिनों का है. फिल्म के हीरो देव आनंद उस समय अपनी बहन को लेकर बहुत परेशान थे, जिनकी तबियत ठीक नहीं थी. उनकी चिंता इतनी गहरी थी कि वह शूटिंग के दौरान भी अक्सर खोए-खोए रहते थे. हर कोई उनकी परेशानी को समझता था, लेकिन कोई उनसे सीधे बात करने की हिम्मत नहीं करता था.

इसी बीच तनुजा ने उन्हें परेशान देखा. बिना किसी झिझक के वह उनके पास गईं. जहां बाकी लोग उनसे सम्मान से बात करते थे, वहीं तनुजा ने अपने दोस्त से बिलकुल अलग अंदाज में बात की. तनुजा ने देव आनंद से कहा- 'आप सिर्फ अपनी बहन के बारे में क्यों सोचते हैं? अपनी जिंदगी जियो और खुश रहो.' देव आनंद, जो अपनी बहन को लेकर बहुत परेशान थे, तनुजा के इस अंदाज से हैरान रह गए. वह एक मोमेंट के लिए चुप रहे और फिर उन्होंने तनुजा को गले लगा लिया. उन्होंने कहा- 'तुम एक वंडरफुल इंसान हो.'

इस डांट में उन्हें एक दोस्त का सच्चा प्यार और परवाह दिखाई दी. तनुजा ने इस किस्से को साझा करते हुए बताया था कि देव आनंद उनके लिए एक ऐसे दोस्त थे जिनसे वह बिना सोचे समझे कोई भी बात कह सकती थीं. तनुजा का यह किस्सा उनकी सहजता और उनके बिंदास नेचर को दर्शाता है.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow