क्या फ्लॉप फिल्मों को मिलता है नुकसान का मुआवजा? जानिए फिल्म इंश्योरेंस का पूरा हिसाब

Sikander Film Makers Appeal For Insurance Policy:सलमान खान की फिल्म सिकंदर के मेकर्स इन दिनों इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर चर्चा में हैं. आपको बताते हैं कि फिल्मों का इंश्योरेंस कैसे होता है और फ्लॉप होने पर पैसे वापस मिलते हैं या नहीं. या फिर मेकर्स कैसे पॉलिसी क्लेम करते हैं.  क्या है फिल्मों की इंश्योरेंस पॉलिसी? फ्लॉप होने पर मिलता है बीमा?इंश्योरेंस पॉलिसी सुनते ही दिमाग में ये आता है कि फिल्में फ्लॉप होने के बाद फिल्ममेकर को कुछ मुआवजा मिलता है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. आर्टिकल 370 के प्रोड्यूसर आदित्य धर ने बताया कि बॉक्स ऑफिस बिजनेस का फिल्मों के इंश्योरेंस से कोई नाता नहीं है. फिल्मों के इन्श्योरेंस के बारे में बात करते हुए निर्देशक मेहुल कुमार ने कहा कि बीमा पॉलिसियों का प्रीमियम फिल्म के बजट पर निर्भर करता है. इन पॉलिसी का प्रीमियम आमतौर पर फिल्म के बजट का 1 से 2.6 प्रतिशत होता है. पॉलिसी केलिए प्रोडक्शन हाउस को फिल्म शूटिंग शेड्यूल और लोकेशन के अलावा, एक्टर्स को भुगतान किए गए पैसों के साथ-साथ पूरे बजट का हिसाब देना पड़ता है. तो फिर कैसे क्लेम कर सकते हैं ये बीमा?सीनियर जर्नलिस्ट लिपिक वर्मा के मुताबिक आज लगभग 90% फिल्मों का बीमा होता है और इसमें मुख्य रूप से तीन प्रकार के बीमा होते हैं. पहला, हेल्थ इंश्योरेंस जो सिर्फ कास्ट और क्रू के लिए होता है. इसमें अगर शूटिंग के दौरान किसी कास्ट या क्रू के मेंबर को चोट लगती है या वो घायल होता तो बीमा कंपनी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए मुआवजा देती है. दूसरा है, सेट इंश्योरेंस इसमें फिल्मों के शूटिंग सेट और लोकेशन को लेकर इंश्योरेंस करवाया जाता है. अगर सेट पे किसी भी तरह की दुर्घटना या एक्सीडेंट होती है तो इसकी भरपाई बीमा कंपनी करती है. 2 साल पहले जब 'गुम है किसी के प्यार में' के सेट में आग लगी थी, तब बीमा कंपनी ने पूरा नुकसान का खर्चा उठाया और प्रोडक्शन को कोई लॉस नहीं हुआ. तीसरा है इक्विपमेंट इंश्योरेंस. इसमें प्री प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन में यूज किए जाने वाले महंगे उपकरणों का बीमा कराया जाता है. चोरी या किसी भी प्रकार का नुकसान होने पर ये खर्चा बीमा कंपनी ही उठती है. हालांकि केवल पॉलिसी में शामिल चीजों के नुकसान होने पर ही ये इंश्योरेंस क्लेम किया जा सकता है. इन मामलों में क्लेम नहीं कर सकते इंश्योरेंस?परेश रावल और अक्षय कुमार स्टारर फिल्म 'ओह माय गॉड' के बाद एक्ट ऑफ गॉड का कॉन्सेप्ट फेमस हुआ था. इसका मतलब होता है बाढ़, भूकंप, महामारी जैसी आपदा जिसपे इंसान का बस नहीं चलता. ऐसे कैसे में आप इंश्योरेंस क्लेम नहीं कर सकते. एक्ट ऑफ गॉड के तहत होने वाली घटनाओं पर कोई भी प्रोडक्शन हाउस बीमा क्लेम नहीं कर सकती. इसके अलावा अगर किसी फिल्म या सीरियल पर कानूनी कार्यवाही होती तो भी इंश्योरेंस क्लेम नहीं किया जा सकता. कब से शुरू हुआ ये बीमा ट्रेंड?1998 में सुभाष घई ने पहली बार अपनी फिल्म 'ताल' का इंश्योरेंस किया था. उनकी ही फिल्म 'खलनायक' की शूटिंग के दौरान संजय दत्त को गिरफ्तार किया गया था जिससे फिल्ममेकर को बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने अपनी अगली फिल्म के लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस की कंपनी मुक्ता आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से 12 करोड़ का बीमा करवाया. इसके बाद ही फिल्म इंडस्ट्री में बीमा ट्रेंड शुरू हुआ. लेकिन आज ये ट्रेंड फिल्मों तक ही सीमित नहीं है कई सीरियल्स के प्रोडक्शन हाउस भी इस इंश्योरेंस पॉलिसी का फायदा उठाते हैं.

Jun 17, 2025 - 20:30
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क्या फ्लॉप फिल्मों को मिलता है नुकसान का मुआवजा? जानिए फिल्म इंश्योरेंस का पूरा हिसाब

Sikander Film Makers Appeal For Insurance Policy:
सलमान खान की फिल्म सिकंदर के मेकर्स इन दिनों इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर चर्चा में हैं. आपको बताते हैं कि फिल्मों का इंश्योरेंस कैसे होता है और फ्लॉप होने पर पैसे वापस मिलते हैं या नहीं. या फिर मेकर्स कैसे पॉलिसी क्लेम करते हैं. 



क्या है फिल्मों की इंश्योरेंस पॉलिसी? फ्लॉप होने पर मिलता है बीमा?
इंश्योरेंस पॉलिसी सुनते ही दिमाग में ये आता है कि फिल्में फ्लॉप होने के बाद फिल्ममेकर को कुछ मुआवजा मिलता है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. आर्टिकल 370 के प्रोड्यूसर आदित्य धर ने बताया कि बॉक्स ऑफिस बिजनेस का फिल्मों के इंश्योरेंस से कोई नाता नहीं है. फिल्मों के इन्श्योरेंस के बारे में बात करते हुए निर्देशक मेहुल कुमार ने कहा कि बीमा पॉलिसियों का प्रीमियम फिल्म के बजट पर निर्भर करता है. इन पॉलिसी का प्रीमियम आमतौर पर फिल्म के बजट का 1 से 2.6 प्रतिशत होता है. पॉलिसी केलिए प्रोडक्शन हाउस को फिल्म शूटिंग शेड्यूल और लोकेशन के अलावा, एक्टर्स को भुगतान किए गए पैसों के साथ-साथ पूरे बजट का हिसाब देना पड़ता है.


तो फिर कैसे क्लेम कर सकते हैं ये बीमा?
सीनियर जर्नलिस्ट लिपिक वर्मा के मुताबिक आज लगभग 90% फिल्मों का बीमा होता है और इसमें मुख्य रूप से तीन प्रकार के बीमा होते हैं. 
पहला, हेल्थ इंश्योरेंस जो सिर्फ कास्ट और क्रू के लिए होता है. इसमें अगर शूटिंग के दौरान किसी कास्ट या क्रू के मेंबर को चोट लगती है या वो घायल होता तो बीमा कंपनी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए मुआवजा देती है. दूसरा है, सेट इंश्योरेंस इसमें फिल्मों के शूटिंग सेट और लोकेशन को लेकर इंश्योरेंस करवाया जाता है. अगर सेट पे किसी भी तरह की दुर्घटना या एक्सीडेंट होती है तो इसकी भरपाई बीमा कंपनी करती है. 2 साल पहले जब 'गुम है किसी के प्यार में' के सेट में आग लगी थी, तब बीमा कंपनी ने पूरा नुकसान का खर्चा उठाया और प्रोडक्शन को कोई लॉस नहीं हुआ. तीसरा है इक्विपमेंट इंश्योरेंस. इसमें प्री प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन में यूज किए जाने वाले महंगे उपकरणों का बीमा कराया जाता है. चोरी या किसी भी प्रकार का नुकसान होने पर ये खर्चा बीमा कंपनी ही उठती है. हालांकि केवल पॉलिसी में शामिल चीजों के नुकसान होने पर ही ये इंश्योरेंस क्लेम किया जा सकता है.

इन मामलों में क्लेम नहीं कर सकते इंश्योरेंस?
परेश रावल और अक्षय कुमार स्टारर फिल्म 'ओह माय गॉड' के बाद एक्ट ऑफ गॉड का कॉन्सेप्ट फेमस हुआ था. इसका मतलब होता है बाढ़, भूकंप, महामारी जैसी आपदा जिसपे इंसान का बस नहीं चलता. ऐसे कैसे में आप इंश्योरेंस क्लेम नहीं कर सकते. एक्ट ऑफ गॉड के तहत होने वाली घटनाओं पर कोई भी प्रोडक्शन हाउस बीमा क्लेम नहीं कर सकती. 
इसके अलावा अगर किसी फिल्म या सीरियल पर कानूनी कार्यवाही होती तो भी इंश्योरेंस क्लेम नहीं किया जा सकता.

कब से शुरू हुआ ये बीमा ट्रेंड?
1998 में सुभाष घई ने पहली बार अपनी फिल्म 'ताल' का इंश्योरेंस किया था. उनकी ही फिल्म 'खलनायक' की शूटिंग के दौरान संजय दत्त को गिरफ्तार किया गया था जिससे फिल्ममेकर को बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने अपनी अगली फिल्म के लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस की कंपनी मुक्ता आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से 12 करोड़ का बीमा करवाया. इसके बाद ही फिल्म इंडस्ट्री में बीमा ट्रेंड शुरू हुआ. लेकिन आज ये ट्रेंड फिल्मों तक ही सीमित नहीं है कई सीरियल्स के प्रोडक्शन हाउस भी इस इंश्योरेंस पॉलिसी का फायदा उठाते हैं.

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