कानपुर-लखनऊ की गलियों से निकलकर 75 साल पहले बनी थीं बॉलीवुड की 'बॉस लेडी', लेती थीं 1.5 लाख फीस

Bina Rai Birth Anniversary: हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग की दमदार नायिकाओं में से एक थीं खूबसूरती की मल्लिका बीना राय, जो उस दौर में एक फिल्म के लिए डेढ़ लाख रुपए लेती थीं. 13 जुलाई 1931 को लाहौर में जन्मीं यह सजीव सौंदर्य की मूर्ति पर्दे पर जितनी सौम्य दिखती थीं, उतनी ही उनके अभिनय में गहराई थी. उन्होंने 1950 के दशक में अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, विशेष रूप से 'अनारकली' (1953) में. इसके गाने और इनकी अदायगी लोगों के जेहन में आज भी जिंदा है. इससे जुड़ा एक बेहतरीन किस्सा भी है. उनके छोटे बेटे कैलाश नाथ ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में बताया था कि मुगल-ए-आजम भी उनको ऑफर हुई थी, लेकिन उन्होंने इसे करने से साफ मना कर दिया था. कहा, "एक छाप लग चुकी है और मैं उसे दोहराऊंगी नहीं." बाद में ये रोल उनकी झोली में गया जिनसे कभी उनके पति प्रेमनाथ शादी करना चाहते थे और वो थीं मधुबाला. बीना राय को मिलती थी सबसे ज्यादा फीस वो दौर ऐसा था जब एक फिल्म के लिए हीरो को पचास हजार से एक लाख रुपये मिलते थे, लेकिन बीना राय जैसी एक्ट्रेस को 1.5 लाख रुपये दिए जाते थे. उस दौर में यह सिर्फ एक फीस नहीं थी, बल्कि इंडस्ट्री में बदलाव की कीमत थी. अपनी मेहनत के दम पर बीना राय ने अपना स्टारडम बनाया. उनके नाम पर फिल्में बनती और बिकती थीं. बीना राय का असली नाम कृष्णा सरीन था. उनके पिता रेलवे में अधिकारी थे. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद उनका परिवार कानपुर आ गया और उन्होंने यहां से अपनी पढ़ाई जारी रखी. इसके बाद उन्होंने लखनऊ के इसाबेला थोबर्न कॉलेज में एडमिशन लिया. यहीं से उनके अंदर अभिनय के प्रति दिलचस्पी बढ़ने लगी. वह कॉलेज के नाटकों में हिस्सा लेने लगीं और धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ने लगा. फिल्मों में आने की शुरुआत  एक दिन उन्होंने अखबार में एक विज्ञापन देखा, जिसमें लिखा था कि निर्देशक किशोर साहू अपनी फिल्म के लिए नई अभिनेत्री खोज रहे हैं और इसके लिए एक टैलेंट कॉन्टेस्ट रखा गया है. बीना राय ने इस कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेने का फैसला लिया, लेकिन घरवाले इसके खिलाफ थे. उस दौर में फिल्म इंडस्ट्री को लड़कियों के लिए अच्छा नहीं माना जाता था, लेकिन बीना राय ने हिम्मत नहीं हारी और भूख हड़ताल पर चली गई. उनकी जिद के आगे परिवारवालों को झुकना पड़ा और वह मुंबई चली गई. बीना राय ने टैलेंट कॉन्टेस्ट में जीत हासिल की और इनाम के तौर पर उन्हें 25,000 रुपये मिले. उस वक्त यह रकम काफी बड़ी मानी जाती थी. साथ ही उन्हें फिल्म 'काली घटा' के लिए साइन किया गया. इस फिल्म में उन्होंने किशोर साहू के साथ अभिनय किया. फिल्म में उनकी खूबसूरती और अदायगी ने सबका ध्यान खींचा. लेकिन उन्हें असली पहचान 1953 में आई फिल्म 'अनारकली' से मिली, जिसमें उन्होंने टाइटल रोल निभाया. इस फिल्म की सफलता ने बीना राय को रातों-रात स्टार बना दिया. फिल्म के गाने, डायलॉग्स और उनकी अदाकारी इतनी नेचुरल थीं कि लोग उन्हें असली अनारकली मानने लगे. मुगल-ए-आजम को ठुकराने का फैसला  'अनारकली' की सफलता के बाद के. आसिफ ने अपनी फिल्म 'मुगल-ए-आजम' का ऑफर दिया था, लेकिन बीना राय ने यह रोल करने से इनकार कर दिया. बाद में यह रोल मधुबाला को मिला, और फिल्म ने इतिहास रच दिया. इसके बाद वह 'घूंघट' (1960), 'ताजमहल' (1963), 'चंगेज खान', 'प्यार का सागर', और 'शगूफा' जैसी कई शानदार फिल्मों में नजर आईं. फिल्म 'घूंघट' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला. बीना राय का फिल्मी करियर लगभग 15 साल का रहा. जब उनका करियर ऊंचाइयों पर था, तब उन्होंने शादी करने और घर बसाने का फैसला लिया. उन्होंने मशहूर अभिनेता प्रेमनाथ से 1952 में शादी की. शादी के बाद उन्होंने धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली और परिवार को समय देना शुरू किया. उनके दो बेटे हुए, जिनमें से एक, प्रेम किशन, बाद में खुद भी फिल्मों में नजर आए. दुनिया को दी आखिरी विदाई बीना राय ने 6 दिसंबर 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 1950 के दशक में, जहां फिल्म इंडस्ट्री पुरुषों के इशारों पर चलती थी, वहां बीना राय ने अपनी शर्तों पर काम किया और अपने अभिनय से लोगों के दिलों पर राज किया. यही वजह है कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं. उन्होंने अभिनेत्री के तौर पर ब्लैक एंड व्हाइट जमाने में भी रंग भर दिए.

Jul 12, 2025 - 19:30
 0
कानपुर-लखनऊ की गलियों से निकलकर 75 साल पहले बनी थीं बॉलीवुड की 'बॉस लेडी', लेती थीं 1.5 लाख फीस

Bina Rai Birth Anniversary: हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग की दमदार नायिकाओं में से एक थीं खूबसूरती की मल्लिका बीना राय, जो उस दौर में एक फिल्म के लिए डेढ़ लाख रुपए लेती थीं. 13 जुलाई 1931 को लाहौर में जन्मीं यह सजीव सौंदर्य की मूर्ति पर्दे पर जितनी सौम्य दिखती थीं, उतनी ही उनके अभिनय में गहराई थी.

उन्होंने 1950 के दशक में अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, विशेष रूप से 'अनारकली' (1953) में. इसके गाने और इनकी अदायगी लोगों के जेहन में आज भी जिंदा है. इससे जुड़ा एक बेहतरीन किस्सा भी है.

उनके छोटे बेटे कैलाश नाथ ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में बताया था कि मुगल-ए-आजम भी उनको ऑफर हुई थी, लेकिन उन्होंने इसे करने से साफ मना कर दिया था. कहा, "एक छाप लग चुकी है और मैं उसे दोहराऊंगी नहीं." बाद में ये रोल उनकी झोली में गया जिनसे कभी उनके पति प्रेमनाथ शादी करना चाहते थे और वो थीं मधुबाला.

बीना राय को मिलती थी सबसे ज्यादा फीस

वो दौर ऐसा था जब एक फिल्म के लिए हीरो को पचास हजार से एक लाख रुपये मिलते थे, लेकिन बीना राय जैसी एक्ट्रेस को 1.5 लाख रुपये दिए जाते थे. उस दौर में यह सिर्फ एक फीस नहीं थी, बल्कि इंडस्ट्री में बदलाव की कीमत थी. अपनी मेहनत के दम पर बीना राय ने अपना स्टारडम बनाया. उनके नाम पर फिल्में बनती और बिकती थीं.


बीना राय का असली नाम कृष्णा सरीन था. उनके पिता रेलवे में अधिकारी थे. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद उनका परिवार कानपुर आ गया और उन्होंने यहां से अपनी पढ़ाई जारी रखी. इसके बाद उन्होंने लखनऊ के इसाबेला थोबर्न कॉलेज में एडमिशन लिया. यहीं से उनके अंदर अभिनय के प्रति दिलचस्पी बढ़ने लगी. वह कॉलेज के नाटकों में हिस्सा लेने लगीं और धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ने लगा.

फिल्मों में आने की शुरुआत 

एक दिन उन्होंने अखबार में एक विज्ञापन देखा, जिसमें लिखा था कि निर्देशक किशोर साहू अपनी फिल्म के लिए नई अभिनेत्री खोज रहे हैं और इसके लिए एक टैलेंट कॉन्टेस्ट रखा गया है. बीना राय ने इस कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेने का फैसला लिया, लेकिन घरवाले इसके खिलाफ थे. उस दौर में फिल्म इंडस्ट्री को लड़कियों के लिए अच्छा नहीं माना जाता था, लेकिन बीना राय ने हिम्मत नहीं हारी और भूख हड़ताल पर चली गई. उनकी जिद के आगे परिवारवालों को झुकना पड़ा और वह मुंबई चली गई.

बीना राय ने टैलेंट कॉन्टेस्ट में जीत हासिल की और इनाम के तौर पर उन्हें 25,000 रुपये मिले. उस वक्त यह रकम काफी बड़ी मानी जाती थी. साथ ही उन्हें फिल्म 'काली घटा' के लिए साइन किया गया. इस फिल्म में उन्होंने किशोर साहू के साथ अभिनय किया. फिल्म में उनकी खूबसूरती और अदायगी ने सबका ध्यान खींचा. लेकिन उन्हें असली पहचान 1953 में आई फिल्म 'अनारकली' से मिली, जिसमें उन्होंने टाइटल रोल निभाया. इस फिल्म की सफलता ने बीना राय को रातों-रात स्टार बना दिया. फिल्म के गाने, डायलॉग्स और उनकी अदाकारी इतनी नेचुरल थीं कि लोग उन्हें असली अनारकली मानने लगे.

मुगल-ए-आजम को ठुकराने का फैसला 

'अनारकली' की सफलता के बाद के. आसिफ ने अपनी फिल्म 'मुगल-ए-आजम' का ऑफर दिया था, लेकिन बीना राय ने यह रोल करने से इनकार कर दिया. बाद में यह रोल मधुबाला को मिला, और फिल्म ने इतिहास रच दिया. इसके बाद वह 'घूंघट' (1960), 'ताजमहल' (1963), 'चंगेज खान', 'प्यार का सागर', और 'शगूफा' जैसी कई शानदार फिल्मों में नजर आईं. फिल्म 'घूंघट' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला.

बीना राय का फिल्मी करियर लगभग 15 साल का रहा. जब उनका करियर ऊंचाइयों पर था, तब उन्होंने शादी करने और घर बसाने का फैसला लिया. उन्होंने मशहूर अभिनेता प्रेमनाथ से 1952 में शादी की. शादी के बाद उन्होंने धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली और परिवार को समय देना शुरू किया. उनके दो बेटे हुए, जिनमें से एक, प्रेम किशन, बाद में खुद भी फिल्मों में नजर आए.


दुनिया को दी आखिरी विदाई

बीना राय ने 6 दिसंबर 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 1950 के दशक में, जहां फिल्म इंडस्ट्री पुरुषों के इशारों पर चलती थी, वहां बीना राय ने अपनी शर्तों पर काम किया और अपने अभिनय से लोगों के दिलों पर राज किया. यही वजह है कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं. उन्होंने अभिनेत्री के तौर पर ब्लैक एंड व्हाइट जमाने में भी रंग भर दिए.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow