Kannappa Review: अक्षय कुमार ने शिव बनकर चलाया मैजिक, शिव भक्त को आंसू निकाल देगी ये फिल्म, सालों तक नहीं भूल पाएंगे क्लाइमैक्स
Kannappa Review: 3 घंटे की फिल्म लेकिन आखिरी के 30 मिनट इतने गजब के कि आप सालों तक नहीं भूल पाएंगे. अगर शुरू के ढाई घंटे आपको फिल्म में कोई कमी भी दिखी हो तो उसे भी भूल जाएंगे. दुनिया में करोड़ों शिव भक्त हैं और ये फिल्म एक शिव भक्त की कहानी है और ये कहानी ऐसी है कि आप इसे सालों तक याद रखेंगे. इसके क्लाइमैक्स को तो आप आसानी से भूल ही नहीं पाएंगे. ये कहानी हमारी मान्यताओं पर आधारित है और ऐसी कहानियां बननी चाहिए और देखी जानी चाहिए. कहानी- ये कहानी है thinnadu नाम के शख्स की जिसे भगवान में भरोसा नहीं है. वो भगवान को पत्थर समझता है. देवी को बलि चढ़ाने के खिलाफ है लेकिन वो शिकारी है, योद्धा है, उसके कबीले के पास ही शिव का एक वायु लिंग है जिसपर हमला करके कुछ लोग उसे ले जाना चाहते हैं. वो उस लिंग को बचाने के लिए नहीं कबीले को बचाने के लिए उनसे लड़ता है लेकिन फिर शिव में उसकी आस्था ऐसी जागती है कि वो जो करता है वो आपको थिएटर जाकर देखना चाहिए. कैसी है फिल्म- ये एक कमाल की फिल्म है और ऐसा फिल्म के आखिरी के 30 मिनट देखकर ही कहा जा सकता है. क्लामैक्स ऐसा है कि आप उसे आसानी से भूल ही नहीं पाएंगे. शिव की भक्ति में कोई क्या कर सकता है. ये देखकर आप हैरान रह जाते हैं. फिल्म शुरू से एक ठीक पेस पर चलती है. शिव की लीला दिखाती हुई. पुराने जमाने में भी मॉर्डन बातों को समझाती हुई, जैसे ओम माय गॉड में हुआ था लेकिन असल मैजिक होता है आखिरी के 30-40 मिनट में जब ये फिल्म आपको एक कमाल का एक्सपीरियंस देती है. ऐसा एक्सपीरियंस देती है कि आप उसे आसानी से भूल ही नहीं पाएंगे. इस फिल्म को शिव भक्त हर हाल में देखेंगे और देखनी भी चाहिए. ये फिल्म हमारी मान्यताओं को दिखाती है और हमें कन्नप्पा की कहानी बताती है जो हमें पता होनी चाहिए लेकिन बहुत से लोगों को ये कहानी नहीं पता, खासतौर पर हिंदी बेल्ट में, इसलिए इस फिल्म को हिंदी में रिलीज किया गया है. फिल्म तीन घंटे की है, लंबी लगती है, गाने थोड़े खलते हैं लेकिन आखिरी के 30 मिनट सब कुछ भूल देते हैं और आप एक कमाल के एक्सपीरिंयस के साथ वापस लौटते हैं. एक्टिंग- विष्णु मंचू ने कनप्पा का किरदार निभाया है और उनका काम कमाल का है, वो इस किरदार में कमाल तरीके से फिट हुए हैं, उनके एक्सप्रेशन्स बढ़िया हैं, फाइट सीन्स हों या इमोशनल सीन, हर शेड में वो कमाल हैं. अक्षय कुमार भगवान शिव के किरदार में हैं और बीच बीच में आते हैं और छा जाते हैं. उन्हें बड़ी स्क्रीन पर भगवान शिव के गेटअप में देखना अपने आप में कमाल है. मोहन लाल ने छोटा सा रोल किया है लेकिन वो असर छो़ड़ते हैं. प्रभास का काम कमाल का है. प्रभास का रोल भी अच्छा खास है, उनका हिंदी डब भी अच्छा है. मोहन बाबू का काम अच्छा है, प्रीति मुकुंदन काफी अच्छी लगी हैं और उनका काम अच्छा है. राइटिंग और डायरेक्शन- विष्णु मंचू ने कहानी और स्क्रीनप्ले लिखा है और मुकेश कुमार सिंह ने फिल्म डायरेक्ट की है. कहानी बढ़िया है, स्क्रीनप्ले और टाइट किया जा सकता था क्योंकि फिल्म की लंबाई थोड़ी सी खलती है लेकिन कुल मिलाकर ये फिल्म अपने मकसद में कामयाब होती है. कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जानी चाहिए रेटिंग .3.5 स्टार्स

Kannappa Review: 3 घंटे की फिल्म लेकिन आखिरी के 30 मिनट इतने गजब के कि आप सालों तक नहीं भूल पाएंगे. अगर शुरू के ढाई घंटे आपको फिल्म में कोई कमी भी दिखी हो तो उसे भी भूल जाएंगे. दुनिया में करोड़ों शिव भक्त हैं और ये फिल्म एक शिव भक्त की कहानी है और ये कहानी ऐसी है कि आप इसे सालों तक याद रखेंगे. इसके क्लाइमैक्स को तो आप आसानी से भूल ही नहीं पाएंगे. ये कहानी हमारी मान्यताओं पर आधारित है और ऐसी कहानियां बननी चाहिए और देखी जानी चाहिए.
कहानी- ये कहानी है thinnadu नाम के शख्स की जिसे भगवान में भरोसा नहीं है. वो भगवान को पत्थर समझता है. देवी को बलि चढ़ाने के खिलाफ है लेकिन वो शिकारी है, योद्धा है, उसके कबीले के पास ही शिव का एक वायु लिंग है जिसपर हमला करके कुछ लोग उसे ले जाना चाहते हैं. वो उस लिंग को बचाने के लिए नहीं कबीले को बचाने के लिए उनसे लड़ता है लेकिन फिर शिव में उसकी आस्था ऐसी जागती है कि वो जो करता है वो आपको थिएटर जाकर देखना चाहिए.
कैसी है फिल्म- ये एक कमाल की फिल्म है और ऐसा फिल्म के आखिरी के 30 मिनट देखकर ही कहा जा सकता है. क्लामैक्स ऐसा है कि आप उसे आसानी से भूल ही नहीं पाएंगे. शिव की भक्ति में कोई क्या कर सकता है. ये देखकर आप हैरान रह जाते हैं. फिल्म शुरू से एक ठीक पेस पर चलती है. शिव की लीला दिखाती हुई. पुराने जमाने में भी मॉर्डन बातों को समझाती हुई, जैसे ओम माय गॉड में हुआ था लेकिन असल मैजिक होता है आखिरी के 30-40 मिनट में जब ये फिल्म आपको एक कमाल का एक्सपीरियंस देती है.
ऐसा एक्सपीरियंस देती है कि आप उसे आसानी से भूल ही नहीं पाएंगे. इस फिल्म को शिव भक्त हर हाल में देखेंगे और देखनी भी चाहिए. ये फिल्म हमारी मान्यताओं को दिखाती है और हमें कन्नप्पा की कहानी बताती है जो हमें पता होनी चाहिए लेकिन बहुत से लोगों को ये कहानी नहीं पता, खासतौर पर हिंदी बेल्ट में, इसलिए इस फिल्म को हिंदी में रिलीज किया गया है. फिल्म तीन घंटे की है, लंबी लगती है, गाने थोड़े खलते हैं लेकिन आखिरी के 30 मिनट सब कुछ भूल देते हैं और आप एक कमाल के एक्सपीरिंयस के साथ वापस लौटते हैं.
एक्टिंग- विष्णु मंचू ने कनप्पा का किरदार निभाया है और उनका काम कमाल का है, वो इस किरदार में कमाल तरीके से फिट हुए हैं, उनके एक्सप्रेशन्स बढ़िया हैं, फाइट सीन्स हों या इमोशनल सीन, हर शेड में वो कमाल हैं. अक्षय कुमार भगवान शिव के किरदार में हैं और बीच बीच में आते हैं और छा जाते हैं. उन्हें बड़ी स्क्रीन पर भगवान शिव के गेटअप में देखना अपने आप में कमाल है. मोहन लाल ने छोटा सा रोल किया है लेकिन वो असर छो़ड़ते हैं. प्रभास का काम कमाल का है. प्रभास का रोल भी अच्छा खास है, उनका हिंदी डब भी अच्छा है. मोहन बाबू का काम अच्छा है, प्रीति मुकुंदन काफी अच्छी लगी हैं और उनका काम अच्छा है.
राइटिंग और डायरेक्शन- विष्णु मंचू ने कहानी और स्क्रीनप्ले लिखा है और मुकेश कुमार सिंह ने फिल्म डायरेक्ट की है. कहानी बढ़िया है, स्क्रीनप्ले और टाइट किया जा सकता था क्योंकि फिल्म की लंबाई थोड़ी सी खलती है लेकिन कुल मिलाकर ये फिल्म अपने मकसद में कामयाब होती है.
कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जानी चाहिए
रेटिंग .3.5 स्टार्स
What's Your Reaction?






