Daler Mehndi Birthday: छोटी सी उम्र में घर से भागने वाले दलेर मेहंदी को डायरेक्टर ने कहा था 'घमंडी', जेलों में काटी रात
दलेर मेहंदी इंडी पॉप की मकबूल शख्सियत हैं. पंजाबी गानों में फ्यूजन का जबरदस्त तड़का और बेहद मामूली से लगने वाले शब्दों को धुनों में पिरो कर गीत रचना इनकी खासियत है. गायक का 18 अगस्त को जन्मदिन है. उनकी गायकी, अनोखी शैली और एनर्जी ने उन्हें म्यूजिक इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम दिलाया. 'तुनक तुनक तुन', 'हो जाएगी बल्ले-बल्ले' जैसे गाने आज भी शादियों की जान हैं! शादी-पार्टी हो या कोई और फंक्शन ये गाने जब भी बजते हैं थिरकने पर मजबूर कर देते हैं. हालांकि, इस चमक-दमक के पीछे दर्द भी कम नहीं है. 11 साल की उम्र में घर से भागने से लेकर जेल की सलाखों तक, दलेर की कहानी किसी प्रेरणादायक किताब से कम नहीं. दलेर मेहंदी ने 11 की उम्र में छोड़ा था घर दलेर मेहंदी का जन्म 18 अगस्त 1967 को पंजाब के पटियाला में हुआ. म्यूजिक के साथ उनका लगाव बचपन से ही था. दलेर ने बचपन से ही गुरबानी और शास्त्रीय संगीत की तालीम ली. लेकिन, 11 साल की उम्र में उनका विद्रोही स्वभाव सामने आया. महज 11 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और लुधियाना में एक तबला वादक के साथ रहने लगे. यह उनके जीवन का पहला बड़ा कदम था, जिसने उनके लिए संगीत की दुनिया का रास्ता खोला. 1990 के दशक में दलेर ने भांगड़ा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. 1995 में उनका एल्बम 'बोलो तारा रा' सुपरहिट रहा, लेकिन असली पहचान मिली साल 1997 में 'तुनक तुनक तुन' से. यह गाना दुनिया भर में वायरल हुआ और आज भी डांस के लिए चुने गानों की टॉप लिस्ट में आता है. एक इंटरव्यू में दलेर ने इस गाने के बारे में बताया था. उन्होंने कहा, "बचपन में मेरी मां मुझे 'तुनक तुनक' गुनगुनाते हुए सुनाती थीं. जब मैंने एक डायरेक्टर को बताया कि यह गाना मेरी मां की देन है, तो उसने तपाक से कहा, 'फिर इसमें आपका योगदान कैसे रहा?' फिर उन्होंने मुझे घमंडी कह दिया था." दलेर ने उस आलोचना को नजरअंदाज किया और गाने को अपनी मेहनत से दुनिया भर में मकबूल कर दिया. View this post on Instagram A post shared by Daler Mehndi (@thedalermehndiofficial) दलेर ने निजी जीवन में झेली परेशानी दलेर की प्रोफेशनल जिंदगी जितनी रंगीन रही, उनकी निजी जिंदगी उतनी ही विवादों में घिरी रही. साल 2003 में उन पर कबूतरबाजी का आरोप लगा, जिसके चलते उन्हें जेल में कुछ रातें बितानी पड़ीं. हालांकि, बाद में वह बरी हो गए, लेकिन इस घटना ने उनकी छवि को काफी ठेस पहुंचाई. लेकिन फिर जो गिरकर न उठे वो दिलेर कैसा! दिलेर मेहंदी भी कुछ अलग ही मिट्टी के रहे. हार नहीं मानी, रार ठानी और अपने बूते वो हासिल करने में खुद को झोंक दिया जिसके लिए जाने जाते थे. उन्होंने बॉलीवुड में 'रंग दे बसंती' और 'मिर्जया' जैसी फिल्मों में गाने गाकर अपना जादू फिर चला दिया.

दलेर मेहंदी इंडी पॉप की मकबूल शख्सियत हैं. पंजाबी गानों में फ्यूजन का जबरदस्त तड़का और बेहद मामूली से लगने वाले शब्दों को धुनों में पिरो कर गीत रचना इनकी खासियत है. गायक का 18 अगस्त को जन्मदिन है. उनकी गायकी, अनोखी शैली और एनर्जी ने उन्हें म्यूजिक इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम दिलाया.
'तुनक तुनक तुन', 'हो जाएगी बल्ले-बल्ले' जैसे गाने आज भी शादियों की जान हैं! शादी-पार्टी हो या कोई और फंक्शन ये गाने जब भी बजते हैं थिरकने पर मजबूर कर देते हैं. हालांकि, इस चमक-दमक के पीछे दर्द भी कम नहीं है. 11 साल की उम्र में घर से भागने से लेकर जेल की सलाखों तक, दलेर की कहानी किसी प्रेरणादायक किताब से कम नहीं.
दलेर मेहंदी ने 11 की उम्र में छोड़ा था घर
दलेर मेहंदी का जन्म 18 अगस्त 1967 को पंजाब के पटियाला में हुआ. म्यूजिक के साथ उनका लगाव बचपन से ही था. दलेर ने बचपन से ही गुरबानी और शास्त्रीय संगीत की तालीम ली. लेकिन, 11 साल की उम्र में उनका विद्रोही स्वभाव सामने आया. महज 11 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और लुधियाना में एक तबला वादक के साथ रहने लगे. यह उनके जीवन का पहला बड़ा कदम था, जिसने उनके लिए संगीत की दुनिया का रास्ता खोला.
1990 के दशक में दलेर ने भांगड़ा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. 1995 में उनका एल्बम 'बोलो तारा रा' सुपरहिट रहा, लेकिन असली पहचान मिली साल 1997 में 'तुनक तुनक तुन' से. यह गाना दुनिया भर में वायरल हुआ और आज भी डांस के लिए चुने गानों की टॉप लिस्ट में आता है.
एक इंटरव्यू में दलेर ने इस गाने के बारे में बताया था. उन्होंने कहा, "बचपन में मेरी मां मुझे 'तुनक तुनक' गुनगुनाते हुए सुनाती थीं. जब मैंने एक डायरेक्टर को बताया कि यह गाना मेरी मां की देन है, तो उसने तपाक से कहा, 'फिर इसमें आपका योगदान कैसे रहा?' फिर उन्होंने मुझे घमंडी कह दिया था."
दलेर ने उस आलोचना को नजरअंदाज किया और गाने को अपनी मेहनत से दुनिया भर में मकबूल कर दिया.
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दलेर ने निजी जीवन में झेली परेशानी
दलेर की प्रोफेशनल जिंदगी जितनी रंगीन रही, उनकी निजी जिंदगी उतनी ही विवादों में घिरी रही. साल 2003 में उन पर कबूतरबाजी का आरोप लगा, जिसके चलते उन्हें जेल में कुछ रातें बितानी पड़ीं.
हालांकि, बाद में वह बरी हो गए, लेकिन इस घटना ने उनकी छवि को काफी ठेस पहुंचाई. लेकिन फिर जो गिरकर न उठे वो दिलेर कैसा! दिलेर मेहंदी भी कुछ अलग ही मिट्टी के रहे. हार नहीं मानी, रार ठानी और अपने बूते वो हासिल करने में खुद को झोंक दिया जिसके लिए जाने जाते थे. उन्होंने बॉलीवुड में 'रंग दे बसंती' और 'मिर्जया' जैसी फिल्मों में गाने गाकर अपना जादू फिर चला दिया.
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