Birthday Special: विवेक अग्निहोत्री पहले बनाते थे विज्ञापन, फिर बनाईं ऐसी फिल्में जो बटोरती हैं सुर्खियां
विवेक रंजन अग्निहोत्री ने बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उनका नाम सुनते ही लोग अक्सर उनकी प्रभावशाली फिल्मों को याद करते हैं. बहुत कम लोग ही जानते हैं कि विवेक ने फिल्मों की दुनिया में कदम रखने से पहले विज्ञापन और ब्रांडिंग वर्ल्ड में अपनी पकड़ बनाई थी. इसी अनुभव ने उन्हें सोचने और कहानी कहने का अनोखा नजरिया दिया. विवेक अग्निहोत्री का जन्म 10 नवंबर 1973 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ. उनके पिता का नाम प्रभुदयाल अग्निहोत्री और माता का नाम शारदा अग्निहोत्री है. बचपन से ही विवेक पढ़ाई और नई चीजें सीखने में तेज थे. उन्होंने अपनी पढ़ाई जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) से पूरी की. इसके बाद उन्होंने विदेश जाकर हार्वर्ड एक्सटेंशन स्कूल से मैनेजमेंट में स्पेशल सर्टिफिकेट कोर्स भी किया. विवेक अग्निहोत्री ने विज्ञापन से शुरू किया करियर उनका करियर विज्ञापन की दुनिया में शुरू हुआ. उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में काम किया और बड़े ब्रांड्स के लिए विज्ञापन तैयार किए. इस दौरान उन्होंने सीखा कि किस तरह से लोगों की सोच को प्रभावित किया जा सकता है और किस तरह से छोटी बातों को व्यापक संदेश में बदला जा सकता है. यह अनुभव बाद में उनकी फिल्मों में साफ झलकता है. विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे रखा कदम टीवी की दुनिया में कदम रखने के बाद विवेक ने धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख किया. उन्होंने 2005 में हॉलीवुड फिल्म 'द यूजुअल सस्पेक्ट्स' की रीमेक 'चॉकलेट' से बॉलीवुड में डेब्यू किया. हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. इसके बाद उन्होंने 'धन धना धन गोल', 'हेट स्टोरी', 'जिद', और 'जुनूनियत' जैसी फिल्में बनाई. इन फिल्मों ने उनकी कहानी कहने की कला और अलग नजरिए को दर्शाया. View this post on Instagram A post shared by Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) फिर बनाईं ऐसी फिल्में जिन्होंने बटोरी सुर्खियां विवेक अग्निहोत्री का करियर तब और चमका जब उन्होंने 'द ताशकंद फाइल्स' और 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्में बनाई. ये फिल्में आलोचकों और दर्शकों के बीच बहस का विषय बनी. उनकी फिल्मों में वास्तविक घटनाओं और रिसर्च का मिश्रण होता है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है. वहीं, 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर भी विवेक अग्निहोत्री ने सुर्खियां बटोरी. विवेक अग्निहोत्री की फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत उनकी और टीम की बेहतरीन रिसर्च, डॉक्यूमेंटेशन और सधा हुआ स्क्रीनप्ले होता है, जिससे दर्शक आखिर तक फिल्म के हर सीन, हर फ्रेम और हर डायलॉग से बंधे रहते हैं. मेहनत और लगन के चलते विवेक को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. आज विवेक अग्निहोत्री सिर्फ एक फिल्मकार नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे निर्देशक हैं जिन्होंने विज्ञापन और ब्रांडिंग की दुनिया से सीख लेकर बॉलीवुड में अपनी अलग शैली बनाई. उन्होंने फिल्मों में भावनाओं के बजाय विचारों और रिसर्च को महत्व दिया. यही वजह है कि उनकी फिल्में एक इंडिपेंडेंट फिल्मकार की तरह समाज में नई बहस और सोच को जन्म देती हैं.
विवेक रंजन अग्निहोत्री ने बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उनका नाम सुनते ही लोग अक्सर उनकी प्रभावशाली फिल्मों को याद करते हैं. बहुत कम लोग ही जानते हैं कि विवेक ने फिल्मों की दुनिया में कदम रखने से पहले विज्ञापन और ब्रांडिंग वर्ल्ड में अपनी पकड़ बनाई थी. इसी अनुभव ने उन्हें सोचने और कहानी कहने का अनोखा नजरिया दिया.
विवेक अग्निहोत्री का जन्म 10 नवंबर 1973 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ. उनके पिता का नाम प्रभुदयाल अग्निहोत्री और माता का नाम शारदा अग्निहोत्री है. बचपन से ही विवेक पढ़ाई और नई चीजें सीखने में तेज थे.
उन्होंने अपनी पढ़ाई जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) से पूरी की. इसके बाद उन्होंने विदेश जाकर हार्वर्ड एक्सटेंशन स्कूल से मैनेजमेंट में स्पेशल सर्टिफिकेट कोर्स भी किया.
विवेक अग्निहोत्री ने विज्ञापन से शुरू किया करियर
उनका करियर विज्ञापन की दुनिया में शुरू हुआ. उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में काम किया और बड़े ब्रांड्स के लिए विज्ञापन तैयार किए. इस दौरान उन्होंने सीखा कि किस तरह से लोगों की सोच को प्रभावित किया जा सकता है और किस तरह से छोटी बातों को व्यापक संदेश में बदला जा सकता है. यह अनुभव बाद में उनकी फिल्मों में साफ झलकता है.
विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे रखा कदम
टीवी की दुनिया में कदम रखने के बाद विवेक ने धीरे-धीरे फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख किया. उन्होंने 2005 में हॉलीवुड फिल्म 'द यूजुअल सस्पेक्ट्स' की रीमेक 'चॉकलेट' से बॉलीवुड में डेब्यू किया. हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
इसके बाद उन्होंने 'धन धना धन गोल', 'हेट स्टोरी', 'जिद', और 'जुनूनियत' जैसी फिल्में बनाई. इन फिल्मों ने उनकी कहानी कहने की कला और अलग नजरिए को दर्शाया.
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फिर बनाईं ऐसी फिल्में जिन्होंने बटोरी सुर्खियां
विवेक अग्निहोत्री का करियर तब और चमका जब उन्होंने 'द ताशकंद फाइल्स' और 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्में बनाई. ये फिल्में आलोचकों और दर्शकों के बीच बहस का विषय बनी. उनकी फिल्मों में वास्तविक घटनाओं और रिसर्च का मिश्रण होता है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है. वहीं, 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर भी विवेक अग्निहोत्री ने सुर्खियां बटोरी.
विवेक अग्निहोत्री की फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत उनकी और टीम की बेहतरीन रिसर्च, डॉक्यूमेंटेशन और सधा हुआ स्क्रीनप्ले होता है, जिससे दर्शक आखिर तक फिल्म के हर सीन, हर फ्रेम और हर डायलॉग से बंधे रहते हैं. मेहनत और लगन के चलते विवेक को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
आज विवेक अग्निहोत्री सिर्फ एक फिल्मकार नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे निर्देशक हैं जिन्होंने विज्ञापन और ब्रांडिंग की दुनिया से सीख लेकर बॉलीवुड में अपनी अलग शैली बनाई. उन्होंने फिल्मों में भावनाओं के बजाय विचारों और रिसर्च को महत्व दिया. यही वजह है कि उनकी फिल्में एक इंडिपेंडेंट फिल्मकार की तरह समाज में नई बहस और सोच को जन्म देती हैं.
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