'खालिद का शिवाजी' पर क्यों हो रहा विवाद, क्यों फिल्म को बैन करने की हो रही मांग? यहां जानें
महाराष्ट्र में एक मराठी फिल्म 'खालिद का शिवाजी' पर खूब हो-हल्ला मचा हुआ है. दरअसल हिंदूवादी संगठनों ने फिल्म का विरोध किया है और आरोप लगाया है कि इसमें छत्रपति शिवाजी महाराज की लीगेसी से छेड़छाड़ की गई है. संगठन का कहना है कि फिल्म में इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है. हिंदू महासंघ के अध्यक्ष आनंद दवे ने कहा, "फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को खराब करने का प्रयास करती है, निर्माताओं ने उन्हें धर्मनिरपेक्ष के रूप में चित्रित किया है, जो हमें कबूल नहीं है. अगर फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो हम उन सिनेमाघरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे जहाँ यह दिखाई जा रही है."इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि वह फिल्म के सीबीएफसी प्रमाणन को रद्द करने की मांग करेगी." सीएम के भाषण के दौरान फिल्म विरोधी नारे लगे थेमुंबई (वर्ली) स्थित एनएससीआई डोम में जब हीरक जयंती राज्य फिल्म पुरस्कार समारोह चल रहा था, उसी दौरान हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने फिल्म के खिलाफ नारे भी लगाए थे. वहीं भाजपा के मंत्रियों ने अब फिल्म को दी गई सेंसर बोर्ड की मंजूरी पर दोबारा विचार करने की बात कही है. महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री ने क्या कहा? महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री आशीष शेलार ने कहा, “हम उन लोगों की भावनाओं को समझते हैं जिन्होंने फिल्म को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं. सीबीएफसी ने इस फिल्म को प्रमाणन दे दिया है. मैंने... सांस्कृतिक मामलों के विभाग के प्रमुख सचिव को फिल्म के लिए सीबीएफसी सर्टिफिकेशन पर दोबारा विचार करने का निर्देश दिया है.” ट्रेलर के बाद से मचा बवालइंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक खालिद का शिवाजी को डायरेक्टर राज प्रीतम मोरे ने बनाया है. उन्होंने 2019 में अपनी मराठी फिल्म खिस्सा के लिए 'निर्देशक की बेस्ट डेब्यू नॉन-फीचर फिल्म' कैटेगिरी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था. इसी हफ्ते रिलीज़ होने वाली उनकी लेटेस्ट फिल्म एक मुस्लिम लड़के के बारे में है जो लाइफ के एक्सपीरियंस से छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सीखता है. खालिद का शिवाजी का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से सारा बखेड़ा खड़ा हुआ है. फिल्म के 2.3 मिनट के ट्रेलर, ने लोगों को नाराज़ कर दिया है. ट्रेलर में विदर्भ के वर्धा ज़िले में रहने वाले खालिद नाम के एक लड़के की कहानी दिखाई गई है . फिल्म में खालिद को उसके क्लासमेंट द्वारा अफ़ज़ल खान कहकर चिढ़ाया जाता है, जो शिवाजी महाराज द्वारा मारा गया आदिलशाही सेनापति था और महाराष्ट्र में उससे बहुत नफ़रत की जाती थी. ट्रेलर में एक किरदार कहता सुनाई देता है, "सच्चा राजा वह होता है जो धर्म में विश्वास नहीं रखता. सच्चा राजा वह होता है जो पूरी दुनिया के धर्म का पालन करता है." फिल्म में खालिद नाम के किरदार को शिवाजी महाराज का वेश धारण करते हुए भी दिखाया गया है. फिल्म पर क्यों हो रहा विवाद खालिद का शिवाजी का विरोध कर रहे हिंदू संगठनो का आरोप है कि फिल्में में मेकर्स ने छत्रपति शिवारी महराज के इतिहास से छेड़छाड़ की है और इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. हिंदुत्व संगठन कुछ संवादों का विरोध कर रहे हैं, जैसे शिवाजी महाराज की सेना में मुस्लिम सैनिकों का प्रतिशत और शिवाजी महाराज द्वारा रायगढ़ में मस्जिद का निर्माण. संगठनों का आरोप है कि इस फिल्म से समाज में फूट डालने की कोशिश हो रही है. इसके चलते फिल्म के बैन की मांग हो रही है. वहीं हिंदू महासंघ ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करते हुए सेंसर बोर्ड को पत्र भेजा है साथ ही फिल्म मेकर्स को भी लीगल नोटिस भेजकर आपत्ति जताई गई है. फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली हैविवादों के बावजूद, इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है, यह इस साल कान फिल्म समारोह में प्रदर्शन के लिए चुनी गई कुछ मराठी फिल्मों में से एक थी. महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने पहले फिल्म की उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए कहा था, "खालिद का शिवाजी आज के समाज में युवा मन के विचारों और उनकी पहचान की तलाश को उजागर करती है." उन्होंने इसके कान चयन को "मराठी सिनेमा के लिए गौरव का क्षण" बताया था. ये भी पढ़ें: 'सन ऑफ सरदार 2' का हुआ बेड़ा गर्क, छठे दिन की कमाई रही सबसे कम, टूट गया अजय देवगन का 15 साल का ये रिकॉर्ड

महाराष्ट्र में एक मराठी फिल्म 'खालिद का शिवाजी' पर खूब हो-हल्ला मचा हुआ है. दरअसल हिंदूवादी संगठनों ने फिल्म का विरोध किया है और आरोप लगाया है कि इसमें छत्रपति शिवाजी महाराज की लीगेसी से छेड़छाड़ की गई है. संगठन का कहना है कि फिल्म में इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है.
हिंदू महासंघ के अध्यक्ष आनंद दवे ने कहा, "फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को खराब करने का प्रयास करती है, निर्माताओं ने उन्हें धर्मनिरपेक्ष के रूप में चित्रित किया है, जो हमें कबूल नहीं है. अगर फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो हम उन सिनेमाघरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे जहाँ यह दिखाई जा रही है."इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि वह फिल्म के सीबीएफसी प्रमाणन को रद्द करने की मांग करेगी."
सीएम के भाषण के दौरान फिल्म विरोधी नारे लगे थे
मुंबई (वर्ली) स्थित एनएससीआई डोम में जब हीरक जयंती राज्य फिल्म पुरस्कार समारोह चल रहा था, उसी दौरान हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने फिल्म के खिलाफ नारे भी लगाए थे. वहीं भाजपा के मंत्रियों ने अब फिल्म को दी गई सेंसर बोर्ड की मंजूरी पर दोबारा विचार करने की बात कही है.
महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री आशीष शेलार ने कहा, “हम उन लोगों की भावनाओं को समझते हैं जिन्होंने फिल्म को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं. सीबीएफसी ने इस फिल्म को प्रमाणन दे दिया है. मैंने... सांस्कृतिक मामलों के विभाग के प्रमुख सचिव को फिल्म के लिए सीबीएफसी सर्टिफिकेशन पर दोबारा विचार करने का निर्देश दिया है.”
ट्रेलर के बाद से मचा बवाल
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक खालिद का शिवाजी को डायरेक्टर राज प्रीतम मोरे ने बनाया है. उन्होंने 2019 में अपनी मराठी फिल्म खिस्सा के लिए 'निर्देशक की बेस्ट डेब्यू नॉन-फीचर फिल्म' कैटेगिरी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था. इसी हफ्ते रिलीज़ होने वाली उनकी लेटेस्ट फिल्म एक मुस्लिम लड़के के बारे में है जो लाइफ के एक्सपीरियंस से छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सीखता है.
- खालिद का शिवाजी का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से सारा बखेड़ा खड़ा हुआ है. फिल्म के 2.3 मिनट के ट्रेलर, ने लोगों को नाराज़ कर दिया है.
- ट्रेलर में विदर्भ के वर्धा ज़िले में रहने वाले खालिद नाम के एक लड़के की कहानी दिखाई गई है .
- फिल्म में खालिद को उसके क्लासमेंट द्वारा अफ़ज़ल खान कहकर चिढ़ाया जाता है, जो शिवाजी महाराज द्वारा मारा गया आदिलशाही सेनापति था और महाराष्ट्र में उससे बहुत नफ़रत की जाती थी.
- ट्रेलर में एक किरदार कहता सुनाई देता है, "सच्चा राजा वह होता है जो धर्म में विश्वास नहीं रखता. सच्चा राजा वह होता है जो पूरी दुनिया के धर्म का पालन करता है." फिल्म में खालिद नाम के किरदार को शिवाजी महाराज का वेश धारण करते हुए भी दिखाया गया है.
फिल्म पर क्यों हो रहा विवाद
- खालिद का शिवाजी का विरोध कर रहे हिंदू संगठनो का आरोप है कि फिल्में में मेकर्स ने छत्रपति शिवारी महराज के इतिहास से छेड़छाड़ की है और इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है.
- हिंदुत्व संगठन कुछ संवादों का विरोध कर रहे हैं, जैसे शिवाजी महाराज की सेना में मुस्लिम सैनिकों का प्रतिशत और शिवाजी महाराज द्वारा रायगढ़ में मस्जिद का निर्माण.
- संगठनों का आरोप है कि इस फिल्म से समाज में फूट डालने की कोशिश हो रही है.
- इसके चलते फिल्म के बैन की मांग हो रही है.
- वहीं हिंदू महासंघ ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करते हुए सेंसर बोर्ड को पत्र भेजा है साथ ही फिल्म मेकर्स को भी लीगल नोटिस भेजकर आपत्ति जताई गई है.
फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है
विवादों के बावजूद, इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है, यह इस साल कान फिल्म समारोह में प्रदर्शन के लिए चुनी गई कुछ मराठी फिल्मों में से एक थी. महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने पहले फिल्म की उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए कहा था, "खालिद का शिवाजी आज के समाज में युवा मन के विचारों और उनकी पहचान की तलाश को उजागर करती है." उन्होंने इसके कान चयन को "मराठी सिनेमा के लिए गौरव का क्षण" बताया था.
ये भी पढ़ें: 'सन ऑफ सरदार 2' का हुआ बेड़ा गर्क, छठे दिन की कमाई रही सबसे कम, टूट गया अजय देवगन का 15 साल का ये रिकॉर्ड
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