अमन चैन की शुरुआत मुस्कुराहट से होती है'। 23 सितम्बर को आ रही फ़िल्म 'ग़ालिब'। रामायण की सीता बनीं अफ़ज़ल गुरु की पत्नी
कश्मीर फ़ाइल के बाद अब कश्मीर की एक गुमनाम कहानी।जिसे गिरिवा प्रोडक्शन अब बड़...
कश्मीर फ़ाइल के बाद अब कश्मीर की एक गुमनाम कहानी।जिसे गिरिवा प्रोडक्शन अब बड़े पर्दे पर दिखाने जा रहा है,आने वाली 23 सितम्बर की तारीख़ को। यह फ़िल्म अफ़ज़ल गुरु के बेटे ग़ालिब को लेकर है जिसकी मां ने भय व आरोप प्रत्यारोप झेलते हुए भी अपने बेटे को पढ़ाया और बेटे ने दसवीं की कक्षा में टॉप किया। उसी ग़ालिब की कहानी और उसकी इस कठिन यात्रा की दास्तान को आप बड़े पर्दे पर जल्द देखेंगे। इस फ़िल्म के लेखक धीरज मिश्रा ने ग़ालिब की ज़िंदगी और उसके परिश्रम को न सिर्फ़ कश्मीर जाकर जाना बल्कि उसकी इस लड़ाई की तह में जाकर तथ्यात्मक चीजों को बाहर लाया।
रामायण की सीता निभा रहीं गालिब की मां का किरदार,नए अंदाज़ में दिखेंगी दीपिका चिखलिया
रामायण धारावाहिक से पूरे भारत ही नही बल्कि विश्व के कोने कोने में सीता के किरदार के लिए प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी अभिनेत्री दीपिका चिखलिया इस फ़िल्म में अफ़ज़ल गुरु की पत्नी यानी ग़ालिब की मां के किरदार में नज़र आएंगी। दीपिका जी के लिए यह किरदार इसलिए चुनौतीपूर्ण नही रहा कि वो अफ़ज़ल गुरु (घोषित आतंकवादी) की पत्नी का रोल कैसे करेंगी बल्कि सीता के किरदार में जहां उन्हें पूरी दुनिया देखती है,वहां मुस्लिम किरदार में आना,आम जनमानस में कैसी छाप छोड़ेगा। फ़िल्म के लेखक धीरज मिश्रा बताते हैं कि-
फिल्म में अफजल की पत्नी का किरदार बेहद महत्वपूर्ण था।इसके लिए मै एक ऐसा चेहरा चाहता था जो इससे न्याय कर सकें।मेरी यह तलाश दीपिका चिखलिया के रूप में पूरी हुयी ।
वो पहले सीता बन चुकी थीं और उनकी एक बड़ी इमेज है।इसका डर था कि लोग इसका विरोध करेंगे और किया भी। जब फिल्म की ये खबर आई कि वो ग़ालिब में पत्नी बन रही है,तो सोशल मीडिया पर हम दोनों को गालियाँ मिलने लगी। मै असहज हो गया था ,क्योकि इससे पहले मैंने ऐसे महान क्रांतिकारियों पर फिल्म बनायीं थी,जिन्होंने अपना सबकुछ देश के लिए अर्पण कर दिया था और मेरी हमेशा तारीफ़ होती आई थी। चाहे वो 'जय जवान जय किसान' में लाल बहादुर शास्त्री जी की फिल्म हो या पुणे के चापेकर बंधुओं पर बनी फिल्म चापेकर ब्रदर्स हो ।
ग़ालिब भी बायोपिक के तरह ही थी लेकिन विषय विवादित था। मगर मुझे अपनी पटकथा पर भरोसा था कि ये लोगो को भावुक कर देगी।ये विशुद्ध रूप से एक माँ –बेटे के संबंधो पर आधारित देश प्रेम जगाने वाली फिल्म हैं ।
वास्तविक घटनाओं पर फ़िल्म बनाना चुनौतीपूर्ण- धीरज मिश्रा
फ़िल्म के लेखक बताते हैं -मै दिल्ली के होटल में अपने कमरे में एक समाचार देख रहा था कि अफजल गुरु के बेटे ग़ालिब गुरु ने हाई स्कूल की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। ये एक सामान्य घटना नहीं थी,क्योंकि अफजल वही आतंकवादी था जो संसद हमले का दोषी था। उसकी पत्नी तब्बुसुम और बेटे ग़ालिब ने अफजल को फांसी से बचाने के लिए लम्बी लडाई लड़ी लेकिन वो असफल रहें । इस घटना के बाद मै कई रातें इस बारे में सोचता रहा।फिर सोचा एक ऐसी कहानी जिसमें एक आतंकवादी के परिवार वाले को क्या झेलना पड़ता हैं ,ऐसी कहानी पर फिल्म बनायीं जा सकती हैं ? इसी सोच के साथ ग़ालिब का जन्म का हुआ ।
बतौर धीरज जब उन्होंने ग़ालिब के बारे में पहली बार अपने दोस्त को बताया था तो उसने सिरे इसे ख़ारिज करते हुए कहा की एक आतंकवादी का महिमा मंडन ठीक नहीं है । एक लेखक के तौर पर मै बेहद सवेंदनशील हूँ ।मै जानता था ग़ालिब एक आतंकवादी का महिमा मंडन नहीं बल्कि एक पत्नी और बेटे का दर्द था जो अपने पति और पिता द्वारा किये गए कृत्यों के चलते उन्हें झेलना पड़ा ।
वे आगे कहते हैं कि-
जब मैंने यह तय कर लिया की मुझे ग़ालिब पर फिल्म बनानी हैं और मुझे निर्माता के रूप में मेरे दोस्त घनश्याम पटेल मिल गए जो मेरी चापेकर ब्रदर्स के भी निर्माता रह चुके थे , मै कहानी के लिए साक्ष्य जुटाने लम्बी यात्रा पर निकल गया ।
वास्तविक घटना पर फिल्म बनाना हमेशा चुनौती पूर्ण होने के साथ साथ बहुत अधिक समय लेने वाला होता है ।क्योकि जहाँ आप पहले पहुँचते है वहाँ पता चलता है की इसकी कुछ कड़ियाँ और है और ये सिलसिला चलता रहता है जब तक आप संतुष्ट नहीं हो जाते I
धीरज मिश्रा आगे बताते हैं कि वे अपनी यात्रा में कई ऐसे पत्रकारों से मिले जिन्हें जेल में डाला गया था। कुछ समाजसेवी ,सबसे कुछ न कुछ जानकारी मिली और उनकी पटकथा तैयार होती गयी। पटकथा में उन्होंने कई काल्पनिक घटनाओं को भी जोड़ा क्योकि अफजल के साथ कश्मीर भी हमेशा विवादों में रहा है। एक जिम्मेदार लेखक के तौर पर उन्हें इस चुनौती से भी निपटना था कि फिल्म विवादों से दूर रहें ,हालंकि लोग जानबूझ कर ऐसा मसाला डालते हैं ताकि फिल्म गर्म हो।
ग़ालिब 23 सितम्बर को रिलीज हो रही है। हालाँकि इसके लिए दर्शकों को एक लम्बा इंतजार करना पड़ा है। कोविड के कारण फ़िल्म जगत पर पड़े प्रभाव से सबको इसका असर झेलना पड़ा।
फिल्म का निर्माण गिरिवा प्रोडक्शन के तहत हुआ है ।सह निर्मात्री निमिषा पटेल है ।निर्देशन मनोज गिरी का है ।
अन्य कलाकारों की बात करें तो अजय आर्या ,अनिल रस्तोगी ,अनामिका शुक्ला ,विशाल दुबे ,मेघा जोशी ,मंजेश पाण्डेय , प्रशांत राय ,आरती त्यागी विवेक त्रिपाठी प्रमुख है ।
लाईन प्रोडूयसर अविनाश कुमार, शालिनी सिंह और हुसैन है।फिल्म की शूटिंग प्रयागराज के अलावा भद्रवाह कश्मीर में हुई है ।
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