फिल्म के इतिहास पर अनिल कपूर का लंबा प्रभाव।
अनिल कपूर की 67 साल की उम्र पर, उनकी सिनेमाई यात्रा ने न केवल भारत में, बल्कि हॉ�...
अनिल कपूर की 67 साल की उम्र पर, उनकी सिनेमाई यात्रा ने न केवल भारत में, बल्कि हॉलीवुड में भी विशेष पहचान बनाई है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने चार दशकों से ज्यादा का समृद्ध कला का प्रतीक बनाया है, जो उनकी प्रारंभिक सफलताओं से लेकर हाल के ब्लॉकबस्टर "एनिमल" (2023) तक फैली है।
बॉलीवुड के दिग्गज अनिल कपूर ने अपने 67वें जन्मदिन के मौके पर एक शानदार सिनेमाई सफर का संक्षेप प्रस्तुत किया है। उनकी उड़ान, जिसने बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों में अपनी पहचान बनाई है, वाकई असाधारण है।
1988 में फिल्म "तेज़ाब" के नृत्य से शुरुआत करते हुए अनिल कपूर ने मिस्टर इंडिया (1987) और राम लखन (1989) जैसी हिट फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी। उनकी अद्वितीय प्रतिभा ने फिल्में जैसी "परिंदा" (1989) और "पुकार" (2000) को क्लासिक बना दिया।
किशन कन्हैया (1990) और नो एंट्री (2005) जैसी फिल्में ने उनकी कला को नए आयाम दिए, जबकि "नायक" (2001) ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया। "स्लमडॉग मिलियनेयर" (2008) ने हॉलीवुड में उनके कदम रखने का मार्ग प्रशस्त किया।
अनिल कपूर ने "एनिमल" (2023) जैसी नई फिल्मों से भी अपनी रूचि बनाए रखी है, जिससे उनका सिनेमाई सफर हमेशा ताजगी बनी रहती है। उनकी आगामी फिल्म "फाइटर" में हवाई एक्शन के साथ होने की उम्मीद है, जिसने टीज़र से ही उत्साहित किया है।
अनिल कपूर का यह समर्पित सिनेमाई यात्रा एक प्रमाण है कि समय के साथ उनका प्रदर्शन और योगदान सिर्फ बढ़ता गया है। उनकी विविध भूमिकाएं और बहुमुखी प्रतिभा ने भारतीय सिनेमा को एक अद्वितीय दर्जा प्रदान किया है।
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