हर साल 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक यानी वर्ल्ड बुक डे मनाया जाता है। यह दिवस बुक्स और राइटर्स के प्रति सम्मान व्यक्त करने तथा साहित्यिक रचनाओं के महत्व को बढ़ाने का अवसर देता है। विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस लोगों को किताबों के महत्व के लिए जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। खासतौर पर यह दिन युवाओं को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। तो चलिए जानते है इसके पूरे इतिहास को।
कब से हुई शुरूआत?
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस की शुरुआत साल 1923 में स्पेन के एक शहर वालेंसिया में हुई थी। यह दिवस मनाने का विचार प्रसिद्ध लेखक विसेंट क्लैवेल एंड्रेस ने दिया था। उन्होंने यह विचार 16वीं शताब्दी के प्रसिद्ध लेखक मिगुएल डे सेर्वांतेस की कमेमोरेशन में मनाए जाने वाले ‘सेर्वांतेस दिवस’ से प्रेरित होकर दिया था। इसके अलावा यह दिन विलियम शेक्सपियर और इंका गार्सिलसो डे ला वेगा की डेथ एनिवर्सरी के साथ मेल खाने के लिए भी चुना गया था, इन सभी की मृत्यु 1616 में इसी दिन हुई थी। बाद में साल 1995 में, यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (यूनेस्को) ने 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में घोषित किया। विश्व पुस्तक दिवस दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा मनाया जाता रहा है, जिसमें 100 से ज्यादा देशों में स्कूलों, लाइब्रेरीज और कल्चरल इंस्टिट्यूट में कार्यक्रम और गतिविधियाँ होती हैं।
क्या हैं Book Day की थीम?
विश्व पुस्तक दिवस हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल 2024 की थीम है, रीड योर वे’ है, जो पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने और हर उम्र के लोगों को बुक्स से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
क्या है वर्ल्ड बुक डे का महत्व?
- विश्व पुस्तक दिवस पर लोगों को पुस्तकों और लेखकों का सम्मान करना सिखाता है। ये दिवस उन लोगों के लिए तो बहुत ही खास होता है जिन्हें पढ़ने का शौक होता है।
- विश्व पुस्तक दिवस दुनिया भर के लोगों, खासतौर से मीडिया, लेखकों और शिक्षाविदों जैसे पुस्तक उद्योग को बढ़ावा देने में योगदान वालों को भी सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
- विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस यह सुनिश्चित करता है कि साक्षरता को सभी रूपों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए और लोगों तक शैक्षिक संसाधनों की हर तरह से पहुंच होनी चाहिए।