बहुत कम भारतीय हैं जिन्हें दुनिया भर में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया। आमतौर पर इस पुरस्कार को हासिल करने वाले फिल्म मेकर्स हॉलीवुड फिल्में बनाने वाले अमेरिकी नागरिक ही होते हैं।
बहुत कम भारतीय हैं जिन्हें दुनिया भर में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया। आमतौर पर इस पुरस्कार को हासिल करने वाले फिल्म मेकर्स हॉलीवुड फिल्में बनाने वाले अमेरिकी नागरिक ही होते हैं। सबसे प्रशंसित भारतीय फिल्म निर्माताओं में से एक सत्यजीत रे को साल 1992 में 64वें अकादमी पुरस्कार में अकादमी द्वारा मानद पुरस्कार (ऑनरेरी अवॉर्ड) से सम्मानित किया गया था। ये सम्मान लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड की तरह ही होता है। इसे हासिल करने वाले पहले भारतीय सत्यजीत रे इसे व्यक्तिगत रूप से स्विकार करने के लिए वहां मौजूद नहीं रहे। इसकी वजह उनका खराब स्वास्थ्य था।
अस्पताल मे मिला था अवॉर्ड
उस समय सत्यजीत रे कोलकाता में अस्पताल में भर्ती थे और लॉस एंजिल्स के लिए फ्लाइट नहीं पकड़ सकते थे, लेकिन डॉल्बी थिएटर में समारोह में उनका का एक वीडियो संदेश दिखाया गया था। रे के पुरस्कार की घोषणा अभिनेता ऑड्रे हेपबर्न ने की, जिन्होंने उनके काम को ‘मोशन पिक्चर्स की कला में दुर्लभ निपुणता और उनके गहन मानवतावाद’ के रूप में वर्णित किया, जिसका दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं और दर्शकों पर अमिट प्रभाव पड़ा है।
सत्यजीत रे के वीडियो में वह अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए हैं। बिस्तर पर लेटे हुए ही सत्यजीत रे भाषण देते दिख रहे हैं और इस दौरान उनके हाथों में गोल्डन ऑस्कर ट्रॉफी नजर आ रही है। वो कहते हैं, ‘यह शानदार पुरस्कार प्राप्त करने के लिए आज रात यहां मौजूद रहना मेरे लिए एक असाधारण अनुभव है, जो निश्चित रूप से मेरे फिल्म निर्माण करियर की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है।’
अवॉर्ड मिलने के 23 दिन बाद हुई मृत्यु
सत्यजीत रे ने अमेरिकी सिनेमा के उनकी फिल्म निर्माण यात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘मैंने अमेरिकी फिल्मों के निर्माण से सिनेमा की कला के बारे में सब कुछ सीखा है। मैं वर्षों से अमेरिकी फिल्में बहुत ध्यान से देख रहा हूं और मैं उन्हें पसंद करता हूं क्योंकि वे मनोरंजन करते हैं।
बाद में मेरा नजरिया बदल गया मनोरंजन से इतर मैं इन्हें इनके प्रभावी काम के लिए पसंद करने लगा। साल 1992 में यह समारोह 30 मार्च को आयोजित किया गया था और एक महीने से भी कम समय के बाद 23 अप्रैल को सत्यजीत रे का 70 वर्ष की आयु में कोलकाता में निधन हो गया। आज तक सत्यजीत रे एकमात्र भारतीय हैं जिन्हें मानद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सत्याजीत रे को दुनिया के बेहतरीन फिल्म निर्माताओं में से एक के रूप में जाना जाता है और उन्होंने अपने लंबे करियर में ‘पाथेर पांचाली’, ‘चारुलता’, ‘महानगर’, ‘सोनार केला’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी कई शानदार फिल्में दीं।