अपनी हाल में ही रिलीज हुई फिल्म ‘बधाई दो’ में एक समलैंगिक लड़की की भूमिका निभाते हुए किए गए अपने संवेदनशील प्रदर्शन को मिल रही जबरदस्त सकारात्मक समीक्षाओं के चलते युवा बॉलीवुड स्टार भूमि पेडणेकर खुशी से फूली नहीं समा रही हैं!
भूमि इस बात को लेकर रोमांचित हैं कि लोग फिल्म और उनकी एक्टिंग का भरपूर आनंद उठा रहे हैं। वह बताती हैं कि डाइरेक्टर हर्षवर्धन कुलकर्णी हमेशा एक मनोरंजक फिल्म बनाना चाहते थे, क्योंकि यह एक ऐसे मुद्दे को उजागर करने जा रही थी, जिसके बारे में खुल कर बात करने की जरूरत है।
इस वर्सेटाइल एक्टर का कहना है- “जब आप बधाई दो जैसी कोई संवेदनशील फिल्म या किसी किरदार को चुनते हैं, तो आप चाहते हैं कि दर्शकों का एक बड़ा वर्ग फिल्म का आनंद उठाए और अपना मनोरंजन करे, क्योंकि आप इसी तरीके से समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह देखकर बेहद खुशी हो रही है कि मीडिया ने मेरे पर्फॉर्मेंस और फिल्म की इतनी ज्यादा सराहना की है। इस खास फिल्म को देखने के बाद दर्शकों की राय देख-सुन कर दिल बाग-बाग हो जाता है।”
भूमि आगे बताती हैं, “इस डिजिटल युग में आपको सोशल मीडिया की वजह से तुरंत फीडबैक मिल जाता है। बधाई दो के सब्जेक्ट से प्रभावित होने वाले लोगों की तरफ से फिल्म और मेरे पर्फॉर्मेंस को मिल रही प्यार भरी तारीफों और बधाइयों के चलते मेरा फोन लगातार घनघना रहा है। हम एक मौजूदा हकीकत को उजागर करना चाहते थे ताकि इसको लेकर लोग एकजुट और एक राय हो सकें तथा उनसे एक जरूरी बदलाव करने के लिए अनुरोध किया जाए।”
भूमि इस बात से खुश हैं कि बधाई दो ने बदलाव की जरूरत के बारे में चर्चा छेड़ दी है और उन्हें उम्मीद है कि यह फिल्म दर्शकों के दिलोदिमाग पर सकारात्मक असर डालेगी।
वह कहती हैं, “फिल्म ने जिस तरह से चर्चा छेड़ी है, उसे देख कर मैं रोमांचित हूं। मुझे उम्मीद है कि वर्तमान में हो रही जबरदस्त प्रशंसा की बदौलत आने वाले दिनों में यह फिल्म दर्शकों के एक व्यापक समूह तक पहुंचेगी। जहां तक मेरी बात है, मैं हमेशा ऐसे प्रोजेक्ट करना चाहती हूं, जो नेक काम करने का इरादा रखते हैं, और बधाई दो में यह इरादा कूट कूट कर भरा हुआ है।”
अपनी बात को समाप्त करते हुए भूमि आगे कहती हैं, “मेरा किरदार सुमी मेरे लिए बहुत खास है, क्योंकि मैंने खुद को इतने स्वाभाविक ढंग से कभी नहीं निभाया। मुझे लगता है कि मैंने भारत में एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदाय के प्रति लोगों की मानसिकता को खोलने में अपना छोटा-सा योगदान दिया है। आइए समावेशी बनें और इस मुद्दे को लेकर मुखर हों।”