4th June 2023, Mumbai: दुनिया भर में आतंकवाद का नासूर फ़ैलता ही जा रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये आतंकवादी कौन होते हैं, कहां से आते हैं? आतंवादी कोई एलियन नहीं होते हैं, बल्कि हमारे- आपके जैसे दिखने वाले साधारण लोग होते हैं, जो हमारे बीच से निकलते हैं और ख़ूंखार रास्ता अख़्तियार करते हैं. उनके सोचने का तरीका उन्हें औरों से अलग ठहराता है. धर्म और जिहाद के नाम पर इन आतंकवादियों के मष्तिष्क में इस क़दर ज़हर भरा जाता है कि वे मासूम लोगों की जान लेने और क़त्ल- ए- आम करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते हैं. उल्लेखनीय है कि आतंकवादियों को प्रशिक्षण के दौरान इस बात का यकीन दिलाया जाता है कि मरने के बाद 72 कुंवारी लड़कियों जन्नत में उनकी सेवा में हाज़िर रहेंगी. ऐसे में यह आतंकवादी मरने के बाद 72 हूरें के साथ ऐय्याशी के सपने देखने लगते हैं और इनकी लालच में आतंकवाद की क्रूर घटनाओं को अंजाम देने से नहीं चूकते हैं.
मगर इन्हें इस बात का कत ई अंदाज़ा नहीं होता है कि 72 हूरों का दिखाया गया सपना दरअसल एक सपना ही है, जिसे कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता है. वे नहीं जानते हैं कि जिहाद के नाम पर उनका अंजाम भी बहुत बुरा होगा और उन्हें एक ऐसी मौत मिलेगी जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा. वे नहीं जानते हैं कि मरने के बाद जन्नत में ऐय्यासी का उन्हें दिखाया गया ख़्वाब दरअसल उनकी बर्बादी का ऐसा रास्ता है जहां मौत के अलावा उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा.
फ़िल्म का सशक्त टीज़र एक रिएलिटी चेक की तरह सामने आया है, जिसमें दिखाया गया है कि सुसाइड बॉम्बिंग आम लोगों की ब्रेनवॉशिंग का नतीजा होता है. साधारण लोगों को धर्म और आस्था के नाम पर आतंकवाद की राह पर चलने के लिए मजबूर किया जाता है.
फ़िल्म 72 हूरें के निर्देशक और दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके संजय पूरण सिंह कहते हैं,” आम लोगों को धीरे- धीरे दिया जा रहा दिमाग़ी ज़हर उन्हें आतंकवादी बना रहा है. ये आत्मघाती हमलावर भी हमारी तरह ही साधारण परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, जो आतंकी आकाओं द्वारा दिखाए गये ग़लत रास्तों व ब्रेनवॉशिंग की बलि चढ़ जाते हैं और फिर ख़ूंखार आतंकवादी में तब्दील हो जाते हैं. 72 हूरों की ख़ुशफ़हमी के चलते वो बर्बादी के रास्ते पर चल पड़ते हैं और फिर उनका अंजाम बहुत ही दर्दनाक होता है. हमें ये समझने की ज़रूरत है कि बड़े पैमाने पर लोगों को बरगला कर उन्हें आतंकवाद के रास्ते पर ले जाया जा रहा है. ऐसे में अब आतंकवाद की जड़ों को खोजने और उसे समूल रूप से नष्ट करना बेहद आवश्यक हो गया है.”
फ़िल्म के निर्माता गुलाब सिंह तंवर ने 72 हूरें के निर्माण के फ़ैसले पर ग़ौर फ़रमाते हुए कहा, ” इस क़दर जज़बात से भरी एक अलहदा किस्म की फ़िल्म का निर्माण करना किसी कमज़ोर दिल वाले शख़्स का काम नहीं है. 72 हूरें वो फ़िल्म है जिसमें दिखाया गया है कि कैसे धर्म के नाम पर पाखंड फ़ैलाया जाता है और आम लोगों को काल्पनिक दुनिया का झांका देकर उन्हें बरगलाया जाता है और फिर उन्हें क्रूर आतंकवादियों में तब्दील कर दिया जाता है. ऐसे में हमारे लिये यह ज़रूरी हो गया था कि हम लोगों के सामने सच्चाई उजागर करें.”
फ़िल्म के सह- निर्माता अशोक पंडित हमेशा से ही समाज में होने वाली वीभत्स किस्म की घटनाओं के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें फ़िल्म के सशक्त विषय पर पूरा भरोसा है और यह फ़िल्म दर्शकों को गहरे तक प्रभावित करेगी. अशोक पंडित कहते हैं,” यह फ़िल्म लोगों को समाज में मौजूद कुछ अजीबो- ग़रीब किस्म की कुरीतियों पर प्रहार करती है और बताती है कि कैसे आम लोगों को गुमराह करने के लिए इन्हें समाज में बढ़ावा दिया जाता है. कैसे इन कपोल- कल्पनाओं को विचारधाराओं का चोला पहनाकर लोगों का ब्रेनवॉश किया जाता है ताकि जिहाद के नाम पर वो आतंकवादी बनकर लोगों को बेरहमी से मार सकें. हम सभी लोगों से गुज़ारिश करता हूं कि वे खुले दिमाग़ से इस फ़िल्म को सिनेमाघरों में देखने के लिए अवश्य जाएं.”
पवन मल्होत्रा और आमिर बशीर स्टारर’72 हूरें’ का का निर्माण गुलाब सिंह तंवर ने किया है और अशोक पंडित इसके सह- निर्माता हैं. यह फ़िल्म 7 जुलाई, 2023 को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ की जाएगी.